संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने चीन पर अल्पसंख्यक कैदियों के अंग निकालने पर उठाए सवाल
बीजिंग/संयुक्तराष्ट्र 19 जनू (हि.स.)। चीन की जेलों में बंद अल्पसंख्यक कैदियों पर अमानवीय जुल्म की खबरों के बाहर आने के बाद उनके दिल, किडनी और लिवर निकालने की खबरें सामने आई है जिसकी चारों तरफ से आलोचना हो रही है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिका परिषद के सदस्यों ने इस क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाई है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार चीन की गिरफ्त में उइगर मुस्लमान, तिब्बती, मुस्लिम और ईसाई के साथ क्रूरता की जा रही है। यूनाइटेड नेशन हाई कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स कार्यालय की तरफ जारी बयान में कहा गया कि हमें जानकारी मिली है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को जबरन खून की जांच कराने और अंगों के परीक्षण मसलन - एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जबकि अन्य कैदियों से ऐसा नहीं कहा जा रहा है।
यूएन मानवाधिकार आयोग के मुताबिक चीन में जबरन अंग निकालने की यह घटना खासकर उनलोगों के साथ हो रही है जो वहां अल्पसंख्यक हैं और चीन की कैद में हैं। इन कैदियों को यह भी नहीं पता कि उन्हें क्यों कैद किया गया है। विशेषज्ञों ने कहा है कि कैदियों के साथ ऐसी क्रूरता के मामले को लेकर हम गंभीर हैं।
विशेषज्ञों के कहना है कि यहां ज्यादातर कैदियों के दिल, किडनी, लीवर समेत शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग निकाले जा रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स मसलन- सर्जन और अन्य मेडिकल स्पेशलिस्ट शामिल हैं।
मानविधिकार परिषद ने यह मामला पहली बार साल 2006 और 2007 में चीनी सरकार के सामने उठाया था। लेकिन सरकार ने डेटा उपबल्ध ना होने की बात कही थी। विशेषज्ञों ने अब इस मामले पर चीन से जवाब देने के लिए कहा है। साथ ही साथ यह भी कहा है कि वो अंतराराष्ट्रीय मानवाधिकार मशीनरी को स्वतंत्र रूप से मानव अंग निकालने के मामले की जांच करने की अनुमति दे।