रूस के खिलाफ 'गुरिल्ला युद्ध' लड़ रहे यूक्रेनी सैनिक, घात लगा टैंकों के काफिले पर कर रहे हमला
रूस के खिलाफ 'गुरिल्ला युद्ध' लड़ रहे यूक्रेनी सैनिक, घात लगा टैंकों के काफिले पर कर रहे हमला
कीव, 08 मार्च । यूक्रेन पर रूस के हमले के 12वें दिन यूक्रेनी सेना ने गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया है। छोटी-छोटी टुकडि़यों में घात लगाकर हमला करने की रणनीति रूसी सेना को बहुत नुकसान पहुंचा रही है। रूसी बख्तरबंद गाडि़यां और टैंक नष्ट को नष्ट होने के बाद रूसी सैनिकों को यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ रहा है।
यूक्रेन में शानिवार को आत्मसमर्पण करने वाले ऐसे ही करीब दर्जनभर रूसी सैनिक ने अपनी टीम पर हुए घातक हमले का ब्योरा साझा किया है। रूसी टैंक यूनिट की तरफ से लड़ रहे लेफ्टिनेंट दिमित्री कोवालेंस्की ने यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में कहा कि पूर्वोत्तर यूक्रेन के सुमी से हमारा काफिला गुजर रहा था। तभी सैन्य ड्रोन व एंटी टैंक मिसाइल से हम पर हमला होने के बाद हमारा पूरा काफिला जल गया।
कोवालेंस्की व अन्य सैनिकों को यूक्रेन तथा पश्चिमी देशों के दावों की पुष्टि के लिए प्रेस कांफ्रेंस में प्रस्तुत किया गया था। इससे जाहिर होता है कि रूस को काफी नुकसान हो रहा है, लेकिन पश्चिमी सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि रूसी सैन्य बल और बड़ी संख्या में अत्याधुनिक हथियारों की उपलब्धता स्थितियों में बड़ा बदलाव ला सकती है।
रूस ने यूक्रेन के कई मोर्चो पर एकसाथ बड़ा हमला बोला है। उसके सैनिकों व सैन्य वाहनों का काफिला काफी लंबा होता है। दूसरी तरफ, यूक्रेन के लेफ्टिनेंट येवगेनी यारंतसेव कहा कि हमारे सैनिक रूस से अलग तरीके से लड़ रहे हैं। हम सैनिकों की छोटी और फुर्तीली इकाइयां बना रहे हैं, जो रूसी टैंकों के लंबे काफिले पर घात लगाकर हमला करती हैं। पूर्वी यूक्रेन में रूस के खिलाफ पहले भी लड़ चुके यारंतसेव कहते हैं कि उनके पास बड़ी संख्या में टैंक उपलब्ध हैं और हमारे पास एंटी टैंक हथियार है। खुले मैदान में मुकाबला फिर भी समान होता लेकिन शहर में लड़ाई आसान होती है। कोवालेंस्की ने बताया कि रूसी सैनिकों को आगे बढ़ने का निर्देश तो दे दिए गए थे, लेकिन सार्जेट व उससे नीचे रैंक के जवानों से यह नहीं बताया गया था कि जाना कहां है। यूक्रेन की सीमा पार करने के बाद ही उन्हें वस्तुस्थिति का पता चला।
बंदी बने रूसी सैनिकों के बयान के अनुसार यूक्रेन ने अमेरिका व पश्चिमी देशों से मिले हथियारों का बेहतर इस्तेमाल किया है। जैवलिन जैसी अमेरिकी मिसाइलों ने रूस को काफी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि, स्वतंत्र विश्लेषक दूसरी परेशानियों की ओर भी इशारा करते हैं, जिनमें रसद व ईंधन की कमी शामिल है।