तीस साल पहले मंदिर को चर्च बनाया था, अब फिर बन रहा मंदिर

बांसवाड़ा जिले के गांगड़तलाई के निकट सोडला दूधा गांव का है मामला

तीस साल पहले मंदिर को चर्च बनाया था, अब फिर बन रहा मंदिर

बांसवाड़ा, 8 मार्च (हि.स.)। तीर्थराज प्रयागराज में 144 साल बाद लगे महाकुंभ ने सनातन की ऐसी बयार बहाई है कि पूरे देश में अलग ही माहौल नजर आ रहा है। इसका असर राजस्थान प्रदेश के जनजाति जिले बांसवाड़ा में भी देखने को मिल रहा है। दरअसल बांसवाड़ा जिले में एक गांव ऐसा है, जहां के लोगों ने सालों पहले धर्म परिवर्तित कर ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया था। अब पूरा गांव एक बार फिर से सनातन धर्म में वापस लौट रहा है। इतना ही नहीं, गांव में करीब 30 साल पहले भैरव जी का मंदिर था, जिसे चर्च में बदल दिया गया था। अब 30 साल बाद चर्च को फिर से मंदिर में बदला जा रहा है। सनातन धर्म में घर वापसी और मंदिर के उद्घाटन का कार्यक्रम रविवार को धूमधाम से किया जाएगा।

बांसवाड़ा जिले के गांगड़तलाई पंचायत समिति के सोड़ला दूधा गांव का माहौल ही कुछ अलग है। कभी चर्च में पादरी का काम करने वाले गौतम गरासिया ने भी हिंदू धर्म में घर वापसी कर ली है। उन्होंने बताया कि देश और प्रदेश में बह रही सनातन संस्कृति और महाकुंभ से मिले संदेश के बाद इस गांव के लोगों ने जिन्होंने पूर्व में ईसाई धर्म अपना लिया था, अब फिर से हिंदू धर्म अपना रहे हैं। साथ ही गांव में बने हुए 30 साल पुराने चर्च का रूप बदलकर फिर से यहां भैरव जी का मंदिर बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि सालों पूर्व यहां ईसाई मिशनरी से प्रभावित होकर पूरे गांव के लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया था, लेकिन और अब उनके मन में फिर से सनातन संस्कृति की ओर रुख हुआ और अब फिर से वह हिंदू धर्म अपनाते हुए यहां भैरव जी का मंदिर स्थापित कर रहे हैं। भारत माता मंदिर से प्रेरणा लेकर इस जनजाति क्षेत्र में इस तरह का पहला आयोजन है। इससे प्रभावित होकर यह संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी कई गांव में ईसाई धर्म अपना चुके लोग वापस सनातन की ओर अपने घर की वापसी करेंगे।