रेप पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद दुबारा बयान लेना कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग : हाईकोर्ट
रेप पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद दुबारा बयान लेना कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग : हाईकोर्ट
प्रयागराज, 13 अगस्त। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार रेप पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद पुलिस विवेचक द्वारा आरोपी की मिलीभगत से बिना आडियो वीडियो रिकार्डिंग के दुबारा बयान लेने को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह व पुलिस महानिदेशक को दो हफ्ते में सभी पुलिस अधीक्षकों को धारा 161(3) की प्रक्रिया का पालन करने की गाइडलाइंस जारी करने का निर्देश दिया है तथा इसे 2 सितम्बर को कोर्ट में पेश करने को कहा है। साथ ही कहा है कि दो माह में इस आशय का सर्कुलर भी जारी किया जाय।
यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने फूलपुर प्रयागराज के बुल्ले की जमानत अर्जी पर दिया है। याची का कहना था कि केस की विवेचना ठीक से नहीं की गई। सह अभियुक्त को रेप के आरोप से पीड़िता का दुबारा बयान लेकर पुलिस ने अलग कर दिया। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाय।
कोर्ट ने विवेचक को तलब कर सफाई मांगी तो उसने कहा दुबारा बयान लेने पर रोक नहीं है। प्रक्रिया की खामियों पर बिना शर्त माफी मांगी। बयान की आडियो वीडियो रिकार्डिंग नहीं की गयी। यह भी गलती मानी कि बयान उसने लिया है, महिला पुलिस ने नहीं ली है। कोर्ट ने एसएसपी प्रयागराज को उचित कार्रवाई करने को कहा है।
कोर्ट ने कहा कि अपराध की निष्पक्ष पारदर्शी विवेचना कराना न केवल पुलिस वरन् कोर्ट की भी जिम्मेदारी है। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। विवेचक को गलत उद्देश्य से विवेचना नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष पारदर्शी विवेचना कराना अपराधिक न्याय व्यवस्था का जरूरी हिस्सा है। धारा 164 का बयान धारा 161 के दर्ज बयान पर हमेशा प्रभावी होता है। हाईकोर्ट की जिम्मेदारी है कि हर नागरिक के अधिकार सुरक्षित रहे। अपराध की निष्पक्ष व पारदर्शी विवेचना की जाय।