अश्लीलता फैलाना निन्दनीय, पढ़ाएंगे सामाजिक मर्यादा का पाठ
परिचर्चा में शिशिर ऋतु और लोक जीवन पर चर्चा
लखनऊ, 22 जनवरी । माघ मास और लोक जीवन पर केन्द्रित लोक परिचर्चा में रविवार को शिशिर ऋतु की विशिष्टताओं, खान-पान व परिधान पर चर्चा हुई। लोक संस्कृति शोध संस्थान की ओर से प्रतिमाह होने वाली लोक परिचर्चा में इस बार हजरतगंज में बीते दिनों एक युवक-युवती के मार्यादाहीन होकर दो पहिया वाहन पर भ्रमण किए जाने संस्कार हीनता बताया गया। परिचर्चा में प्रो. कमला श्रीवास्तव, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विद्याविन्दु सिंह, डॉ रामबहादुर मिश्र की उपस्थिति में ऑनलाइन हुई परिचर्चा में सार्वजनिक स्थल पर अमार्यादित होकर घूमने की निंदा करते हुए संकल्प लिया गया कि अपने घर के किशोरों पर नजर रखी जाएगी और उन्हें परिवार की प्रतिष्ठा तथा सामाजिक मर्यादा का पाठ पढ़ाया जायेगा।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. कमला श्रीवास्तव ने बसन्त और गणतंत्र दिवस पर आधारित संगीत रचना ‘झूमता मधुमास आया.. के गायन से की। वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डाॅ विद्याविन्दु सिंह ने प्रकृति के प्रति निरंतर संवेदनशील लोक संस्कृति की विराट चेतना का स्मरण करते हुए माघ माह के पर्वों की महत्ता बतायी। कहा कि माघ महीना स्नान और पुण्य दान का महीना है- माघहि मास नहायौ, अगिन नाहीं ताप्यो, बिधि से भूख्यौ इतवार, संतति फल पायो... जैसे लोक गीत इसकी महिमा गाते हैं।
लोक संस्कृति अध्येता डॉ रामबहादुर मिश्र ने कहा कि लोक जीवन में माघ महीने का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी महीने में तिलवा, खिचड़ी, मौनी अमावस और वसंत के पर्व आते हैं। शिशिर ऋतु होने के कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका बड़ा महत्व है। माघ महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी को ढाह गाड़कर फाग गीतों का गायन प्रारंभ हो जाता है।
परिचर्चा में बसन्त के स्वागतार्थ गीत-संगीत की प्रस्तुतियां भी हुईं। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ करुणा पांडे, डॉ संगीता शुक्ला, डॉ अपूर्वा अवस्थी, डॉ सुरभि सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे। वरिष्ठ लोकगायिका इन्द्रा श्रीवास्तव, इन्दू सारस्वत, रीना टण्डन, सरिता अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, लोकगायिका अंजलि सिंह, अरुणा उपाध्याय, रेखा मिश्रा, कल्पना सक्सेना, सरिता श्रीवास्तव, चित्रा जायसवाल, शकुन्तला श्रीवास्तव, नवनीता जफा, अपर्णा सिंह, सुनीता पाण्डेय, रेनू दुबे, अंजू अग्रवाल आदि की उपस्थिति रही। चित्रकार ललिता पाण्डेय एवं सुनीता पाण्डेय ने माघ माह के त्योहार पर आधारित लोक चित्र व वीणावादिनी के चित्र प्रस्तुत किये। संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने सभी का आभार जताया।