भैरवाष्टमी पर बाबा कालभैरव की विशेष आराधना, 101 लीटर दूध से अभिषेक

युवा भक्त फल और पंचमेवा से निर्मित केक काटेंगे, अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा भी निकलेगी

भैरवाष्टमी पर बाबा कालभैरव की विशेष आराधना, 101 लीटर दूध से अभिषेक

वाराणसी, 21 नवंबर । धर्म नगरी काशी में भैरवाष्टमी को लेकर काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव सहित सभी भैरव मंदिरों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। मंदिर के पुजारियों की देखरेख में 23 नवंबर शनिवार को भैरवाष्टमी मनाई जाएगी। काशी के कोतवाल कालभैरव मंदिर में जन्मोत्सव पर बाबा के विग्रह का 101 लीटर दूध से अभिषेक और सवा लाख बत्तियों से महाआरती होगी। बाबा के विग्रह के समक्ष मदिरा, विविध व्यंजन सहित फल आदि नैवेद्य के रूप में अर्पित किए जाएंगे। बाबा के जन्‍मोत्‍सव पर युवा भक्त फल और पंचमेवा से निर्मित केक काटते है।

मंदिर से जुड़े नवीन गिरी ने बताया कि मार्गशीर्ष (अगहन) माह के कृष्ण पक्ष की मध्यान्ह व्यापिनी अष्टमी को श्री काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। सनातनी पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर शुक्रवार को रात 9:20 बजे से शुरू हो रही है। जो 23 नवंबर को रात 10:23 बजे तक रहेगा। ऐसे में सनातनी परम्परा में उदया तिथि के अनुसार 23 नवंबर को भैरवाष्टमी मनेगी। श्री काल भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। मान्यता है कि काशी में रहने वाले हर व्यक्ति को यहां पर रहने के लिए बाबा काल भैरव की आज्ञा लेनी पड़ती है। माना जाता है कि भगवान शिव ने ही इनकी नियुक्ति यहां की थी।

इस संदर्भ में एक कथा है ब्रह्माजी का कटा हुआ शीष काल भैरव के हाथ में चिपक गया था। ऐसे में काल भैरव को ब्रह्म हत्या से मुक्ति दिलाने के लिए महादेव ने उन्हें प्रायश्चित करने के लिए कहा। महादेव ने बताया कि कालभैरव त्रिलोक में भ्रमण करें और जब ब्रह्मा जी का कटा हुआ सिर हाथ से गिर जाएगा। उसी समय से उनके ऊपर से ब्रह्म हत्या का पाप हट जाएगा। भ्रमण के दौरान कालभैरव काशी पहुंचे तब उनके हाथ से ब्रह्मा जी का सिर छूट गया। इसके बाद काल भैरव काशी में ही स्थापित हो गए और शहर के कोतवाल कहलाए।

भैरवाष्टमी पर ही लाट भैरव काशी यात्रा मंडल के तत्वावधान में कज्जाकपुरा स्थित कपाल भैरव व लाट भैरव मंदिर में विधिवत पूजन अर्चन के बाद भक्त अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा भी निकालते हैं। जन्मोत्सव में अनादिकालेश्वर बाबा श्री लाट भैरव का भव्य अन्नकूट श्रृंगार होता है। अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा में शामिल सभी आठ भैरव मंदिरों में जाकर दर्शन पूजन करते हैं। इसमें कालभैरव स्थित बाबा कालभैरव, नीचीबाग स्‍थित बाबा आस भैरव, कमच्‍छा स्‍थित बाबा बटुक भैरव, कमच्‍छा स्‍थित बाबा आदि भैरव, नखास स्‍थित बाबा भूत भैरव, कज्‍जाकपुरा स्‍थित बाबा लाट भैरव, मीरघाट स्‍थित बाबा संहार भैरव और मालवीय मार्केट स्‍थित बाबा क्षत्रपाल भैरव दंडपाणि भैरव का दर्शन पूजन होता है।