किराया कर नहीं जो भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूली जाएः हाईकोर्ट
किराया कर नहीं जो भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूली जाएः हाईकोर्ट
प्रयागराज, 08 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यूपी नगर पालिका अधिनियम के तहत किसी भी नगर पालिका को अधिनियम की धारा 173-ए के तहत किसी दुकान के किराए के बकाया को भू-राजस्व के बकाए के रूप में वसूली नहीं जा सकता है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने मंजीत सिंह व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचियों ने बकाया किराए वसूली के लिए बरेली नगर पालिका परिषद के कार्यकारी अधिकारी द्वारा जारी किए गए वसूली प्रमाणपत्रों और धारा 173-ए (बकाया के रूप में करों की वसूली) के तहत कलेक्टर द्वारा भू राजस्व अधिनियम के तहत जारी किए गए परिणामी वसूली को चुनौती दी गई थी।
याचियों के अधिवक्ता ने कहा कि नगर पालिका द्वारा उसे आवंटित दुकान के कब्जे वाले किसी भी दुकानदार पर बकाया किराया यूपी नगर पालिका अधिनियम की धारा 292 के तहत वसूली की जा सकती है। यह तर्क दिया गया कि भूमि पर किराया देय नहीं है और इसे धारा 173-ए या धारा 291 के तहत भू राजस्व के रूप में वसूल नहीं किया जा सकता है, जो कलेक्टर को भूमि पर भू राजस्व के रूप में किराया एकत्र करने का अधिकार देता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कलेक्टर द्वारा जारी किए गए वसूली प्रमाण पत्र और वसूली उद्धरण को अधिकार क्षेत्र के बिना होने के कारण रद्द कर दिया।
यह माना गया कि यूपी नगर पालिका अधिनियम, 1912 नगर पालिका को किसी दुकान के किराए के बकाया को भू राजस्व के बकाया के रूप में वसूल करने का अधिकार नहीं देता है। किसी भी बकाया के भुगतान के लिए बकाएदार को 15 दिन की अवधि प्रदान की जाती है। यह भी माना गया कि उक्त अवधि के भीतर अपना बकाया पूरा करने में विफल रहने के बाद ही अधिनियम के अध्याय छह के तहत आगे की कार्यवाही शुरू की जा सकती है। लेकिन भू राजस्व के तहत किराए की वसूली नहीं जा सकती है।