डीएलएड एलिमेंट्री एजुकेशन डिप्लोमा में तीन बार फेल अभ्यर्थियों को राहत
हाईकोर्ट ने तीन बार फेल याचियों को परीक्षा में बैठने का अंतिम मौका देने का दिया निर्देश
प्रयागराज, 12 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड (बीटीसी) एलिमेंट्री एजुकेशन डिप्लोमा कोर्स की परीक्षा के कुछ सेमेस्टर में तीन बार फेल अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने का एक अतिरिक्त मौका देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज के द्वारा जारी सर्कुलर का लाभ लगभग दो हजार अभ्यर्थियों को देना और सैकड़ों याचियों को लाभ से वंचित करना अनुच्छेद 14 के विपरीत व विभेदकारी है। कोर्ट ने कहा कानून के समक्ष समानता हो और सभी को समान संरक्षण मिलना चाहिए।
कोर्ट ने कहा किसी की अभ्यर्थिता निरस्त नहीं है। इसलिए क्लाज 20 में अपील में न जाना इनके आड़े नहीं आयेगा। याचीगण भी परीक्षा में बैठने का अतिरिक्त मौका पाने के हकदार हैं। इसलिए याचियों को अतिरिक्त मौका दिया जाय। कोर्ट ने सभी याचिकाएं स्वीकार कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने साक्षी व 77अन्य सहित कुल 15 याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है।
याची का कहना था कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने 11 सितम्बर 21 व 19 अप्रैल 22 को सर्कुलर जारी किया जिसमें तीन बार फेल अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने का एक अंतिम अतिरिक्त मौका देने की छूट दी गई है। याचीगण एक विषय में तीन बार फेल हुए हैं। सर्कुलर के आधार पर छूट की मांग की थी। इनका यह भी कहना था कि लगभग दो हजार अभ्यर्थियों को इसका लाभ दिया गया है और याचियों को वंचित किया जा रहा है।
हालांकि अपर महाधिवक्ता ने इसका विरोध किया। किंतु कोर्ट ने कहा कि वह सर्कुलर को मान रहे हैं और उसे चुनौती भी नहीं दी गई है तो सर्कुलर का सभी को लाभ पाने से वंचित नहीं किया जा सकता। अपर महाधिवक्ता का कहना था कि सर्कुलर केवल प्रत्यावेदन देने वालों के लिए जारी हुआ था। कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि सचिव को सर्कुलर जारी करने का अधिकार है,और उसमें कानूनी बल है तो याचियों को लाभ पाने से रोका नहीं जा सकता। सर्कुलर की संकीर्ण व्याख्या स्वीकार्य नहीं है।
सरकार की तरफ से कहा गया कि यह लाभ केवल याचियों तक सीमित किया जाय। किंतु कोर्ट ने इसे भी नहीं माना। कहा आदेश के बाद याचिका दायर होने पर राज्य को अपना तर्क रखने का अधिकार होगा।