शुआट्स के कुलपति की याचिका खारिज, एफआईआर में नाम नहीं तो नहीं दे सकते चुनौती

कोतवाली, फतेहपुर में हिंदुओं को ईसाई बनाने के आरोप में 65 लोगाें के खिलाफ दर्ज है केस

शुआट्स के कुलपति की याचिका खारिज, एफआईआर में नाम नहीं तो नहीं दे सकते चुनौती

प्रयागराज, 13 जनवरी । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुआट्स नैनी, प्रयागराज के कुलपति राजेन्द्र बिहारी लाल की कोतवाली, फतेहपुर में 15 अप्रैल 22 को धोखे से धर्म परिवर्तन के आरोप में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।

कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में याची नामित नहीं है। इसलिए उसे चुनौती देने का कानूनी अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा विवेचना के दौरान यदि याची के खिलाफ धर्म परिवर्तन में संलिप्तता का साक्ष्य मिलता है तो वह इस याचिका का विषय नहीं हो सकता। कोर्ट ने याचिका को पोषणीय नहीं माना और खारिज कर दी।

यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने कुलपति आर बी लाल की याचिका पर दिया है। याचिका में फतेहपुर कोतवाली में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने तथा याची की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

याची का कहना था कि हिंदुओं को धोखाधड़ी से ईसाई बनाने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी में उसका नाम नहीं है। उसमें 35 लोगों को नामजद किया गया है और 30 अज्ञात के भाग जाने का आरोप लगाया गया है। याची का 14 अप्रैल 22 को हुई घटना से कोई सरोकार नहीं है। फिर भी विवेचना अधिकारी ने 26 दिसम्बर 2022 को उसे नोटिस दी। जिसका जवाब दे दिया गया है। विवेचना जारी है। अभी चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। पुलिस द्वारा याची को परेशान किया जा रहा है।

सरकारी वकील का कहना था कि याची का एफआईआर में नाम नहीं है। इसलिए उसे चुनौती देने का अधिकार नहीं है। कानून है कि एफआईआर से यदि अपराध का खुलासा हो रहा हो तो कोर्ट उसे रद्द नहीं कर सकती। जब एफ आई आर में याची का नाम नहीं तो वह नहीं कह सकते कि आरोप उन्हीं के खिलाफ है। बाद में कोई साक्ष्य याची के खिलाफ विवेचना के दौरान मिलता है तो उस पर इस याचिका में विचार नहीं किया जा सकता।