गंगाजल से तैयार कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति की मांग में याचिका दायर
आईसीएमआर व भारत सरकार की इथिक्स कमेटी को नोटिस जारी
प्रयागराज, 01 जुलाई । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगाजल से कोविड 19 के संक्रमण को खत्म करने की वैक्सीन तैयार करने के लिए क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग में दाखिल याचिका पर इंडियन काउंसिल फार मेडिकल एण्ड रिसर्च एवं भारत सरकार की इथिक्स कमेटी को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर इस जनहित याचिका पर 6 सप्ताह बाद सुनवाई करने का निर्देश दिया है ।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने अरूण कुमार गुप्ता की जनहित याचिका पर दिया है। गुप्ता का कहना है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व मे डाक्टरों की टीम ने गंगाजल पर रिसर्च कर नोजल स्प्रे वैक्सीन तैयार की है। जो मात्र 30 रूपये में लोगों को कोरोना से राहत दे सकती है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर इथिक्स कमेटी को भेजी गयी है और क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी गयी है। किन्तु कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
बीएचयू के डाक्टर का दावा है कि वायरो फेजथिरेपी से कोरोना का खात्मा किया जा सकता है। अभी तक जितनी भी वैक्सीन है वे वायरस को डी ऐक्टीवेट करती है। जबकि गंगाजल से प्रस्तावित वैक्सीन कोरोना को खत्म कर देगी।
बीएचयू के डाक्टरों की टीम ने आईसीएमआर व आयुष मंत्रालय को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति के लिए शोध प्रस्ताव भेजा है। परन्तु इनके द्वारा कोई रूचि नहीं ली जा रही है। याचिका में मांग की गयी है कि आयुष मंत्रालय व आईसीएमआर को डॉ. वीएन मिश्र की टीम को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने का समादेश जारी किया जाय तथा पुणे के वायरोलाजी लैब में गंगा जल से तैयार वैक्सीन का टेस्ट कराया जाय। शोध प्रस्ताव राष्ट्रपति को भी भेजा गया है, जिसमें दावा किया गया है कि गंगा जल का क्लिनिकल ट्रायल कर कोरोना को जड़ से खत्म करने की वैक्सीन तैयार की जा सकती है।
याची का कहना है कि 1896 मे ब्रिटिश वैक्टीरियोलाजिस्ट अनेस्ट हाकिंस ने गंगाजल पर शोध किया था। उनकी रिपोर्ट ब्रिटिश मेडिकल जनरल मे छपी थी। गंगोत्री के जल में सेल्फ प्यूरीफाइंग क्वालिटी पायी गयी थी। अन्य कई देशों की मैग्जीन में भी शोध पत्र छपे हैं।
याची ने 28 अप्रैल 20 को सभी शोधपत्र नेशनल क्लीन गंगा मिशन को भेजा है और महानिदेशक आई सी एम आर को भी देकर क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग की है। कहा है कि बीएचयू के डाक्टरों की टीम ने जो नोजल स्प्रे वैक्सीन तैयार की है उसके लगभग तीन सौ लोगों पर प्रयोग के सकारात्मक परिणाम आये हैं।