अखिलेश की राजनीति से ओपी राजभर ने भी बनाई दूरी !
ओपी राजभर ने एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को किया समर्थन का ऐलान
लखनऊ, 15 जुलाई । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश (ओपी) राजभर ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से दूरी बना ली है। शुक्रवार को ओपी राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को वोट देने का ऐलान कर दिया।
ओपी राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और द्रौपदी मुर्मू ने सुभासपा का समर्थन मांगा था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी फोन आया था। मेरी उनसे मुलाकात भी हुई। उन्होंने भी द्रौपदी मुर्मू के लिए समर्थन मांगा,जबकि अखिलेश यादव ने इस संबंध में उनसे बात तक नहीं की तो ऐसे में हमने भी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका अलग रहकर ही तय करने का फैसला कर लिया। अब सुभासपा के विधायक राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को वोट करेंगे।
राजभर ने नया ठिकाना खोजना शुरू किया
राजभर का यह फैसला अखिलेश यादव की एक बड़ी सियासी हार के रूप में देखा जा रहा है। अखिलेश यादव के लचर सांगठनिक क्षमता की वजह से ओपी राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव में उनसे दूरी बनाई है। यही नहीं, यह फैसला लेने के पूर्व ओपी राजभर ने सार्वजनिक रूप से संकेत भी किया था कि सपा मुखिया अखिलेश यादव गठबंधन के सहयोगी दलों से भेदभाव करना छोड़ दें। एसी कमरे के बाहर निकलकर जनता के बीच जाएं। ओपी राजभर की यह सलाह अखिलेश यादव को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने कहा कि उन्हें किसी की सलाह की जरूरत नहीं हैं। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में सपा प्रत्याशियों की हुई पराजय के बाद अखिलेश यादव का यह कथन ओपी राजभर को नागवार लगा और उन्होंने अपना नया ठिकाना खोजना शुरू कर दिया।
राजभर की नाराजगी का एक कारण यह भी
इसी क्रम में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा की मौजूदगी में हुई बैठक में अखिलेश यादव ने ओपी राजभर को नहीं बुलाया और रालोद मुखिया जयंत चौधरी को बुलाकर मंच भी साझा किया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की इस सियासी चाल को शिवपाल यादव ने बचकानी राजनीति बताया,जबकि ओपी राजभर ने इसे अपना अपमान माना। ओपी राजभर ने अखिलेश यादव की राजनीति को लेकर उन पर खुलेआम हमला बोला। राजभर ने कहा कि बैठक में न बुलाए जाने की वजह जानने के लिए उन्होंने कई बार सपा अध्यक्ष से मिलने की कोशिश भी की लेकिन अखिलेश ने उनसे बात करना जरूरी नहीं समझा। लिहाजा यह समझा जाएगा कि अखिलेश को हमारी जरूरत नहीं है। इसलिए हमने भी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका अलग रहकर ही तय करने का फैसला किया है। अब सुभासपा के छह विधायक द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करेंगे। ऐसे में सुभासपा के विधायकों में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी भी द्रौपदी मुर्मू को वोट करेंगे।
अब मुश्किल है राजभर का सपा के साथ चलना
अब सवाल उठ रहा है कि क्या राजभर राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन कर भाजपा के साथ एक बार फिर से ताल से ताल मिलाकर चलेंगे ? इस सवाल को लेकर अब यह कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव के साथ ओम प्रकाश राजभर के रिश्ते इस कदर खराब हैं कि अब आगे दोनों का साथ चलना मुश्किल है। वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र कुमार कहते हैं कि राजभर इस कवायद में हैं कि सपा से उनका नाता अखिलेश यादव की तरफ से टूटे ताकि उन पर गठबंधन तोड़ने के आरोप न लगें। ऐसे में राजभर ने राष्ट्रपति चुनाव के बहाने भाजपा गठबंधन में वापसी की पटकथा लिखी है। अब ओपी राजभर और सपा के बीच गठबंधन टूटता है और राजभर फिर से भाजपा के साथ आते हैं तो पूर्वांचल के इलाके में भाजपा को टक्कर देना अखिलेश यादव के लिए काफी मुश्किल होगा।