ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में सुनवाई 18 जुलाई को, वादी संख्या 2 से 5 तक की बहस पूरी
वादी पक्ष के अधिवक्ता ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाया
वाराणसी, 15 जुलाई । ज्ञानवापी-श्रृृंगार गौरी प्रकरण में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को भी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। वादी पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने जोरदार बहस कर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को निशाने पर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड ने न्यायालय और जनता को गुमराह किया।
ज्ञानवापी मामले की पोषणीयता पर बहस करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड में दर्ज 100 नंबर पंजीकरण के बाबत कोई भी सबूत नहीं है। वक्फ बोर्ड देश की सरकारी संपत्तियों को इसी तरह कई जगहों पर कब्जा कर रहा है। न्यायालय ने वादी पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अगली सुनवाई की तिथि 18 जुलाई मुकर्रर कर दी। चौथे दिन वादी संख्या 2 से 5 तक की बहस पूरी हो गई। अब वादी संख्या एक राखी सिंह के अधिवक्ता सोमवार को बहस करेंगे।
सुनवाई के दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू नही होता। श्रृंगार गौरी का मुकदमा हर हाल में सुनवाई योग्य है। उन्होंने कहा कि यदि प्रॉपर्टी नॉन हिंदू है तो उसपर वक्फ बोर्ड का कानून लागू नहीं हो सकता है। ज्ञानवापी मामले में न प्लेसेज ऑफ़ वर्शिप एक्ट लागू होता है और न ही वक्फ एक्ट लागू होता है। उन्होंने न्यायालय को बताया कि ज्ञानवापी प्रॉपर्टी के वक्फ का नोटिफिकेशन, वक्फ रजिस्ट्रेशन तिथि, वक्फ निर्माण की तिथि, प्रॉपर्टी का खाता, खसरा, पट्टा, प्लॉट नंबर निल दिखाया गया है।
उन्होंने कहा कि सम्पत्ति शहर में होने के बावजूद मंडुआडीह ग्रामीण एरिया में दर्ज बताया गया है। जिस स्थान को विशेष उपासना स्थल कानून 1991 बनने से पहले हिंदुओं का पूजा स्थल घोषित कर दिया गया उस स्थान पर यह कानून नहीं लागू होता है। धार्मिक स्वरूप के मुद्दे पर कहा कि वेद, शास्त्र, उपनिषद, स्मृति, पुराण से साबित है कि पूरी प्रॉपर्टी मंदिर की है।
उन्होंने कहा कि जबरदस्ती घुस आने और नमाज पढ़ लेने से वो मस्जिद की संपत्ति नहीं हो जाती। जैन ने कहा कि हमारे अधिकार का अतिक्रमण किया गया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में इसके खिलाफ कई मुकदमें हैं। वक्फ भी मान रही है कि यह संपत्ति भगवान की है।