पश्चिम उप्र में ओवैसी की आमद से बिगड़ रहे राजनीतिक समीकरण
पश्चिम उप्र में ओवैसी की आमद से बिगड़ रहे राजनीतिक समीकरण
22 जुलाई। 2022 में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए मुस्लिम वोटों को लेकर खींचतान तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच इस संघर्ष का गढ़ फिलहाल पश्चिम उप्र बन गया है। भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर से लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह सक्रिय है तो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की आमद से राजनीतिक दलों में खलबली मच गई है। खासकर मुस्लिमों वोटों पर अपना एकाधिकार जताने वाली समाजवादी पार्टी और बसपा नेतृत्व परेशान हो गया है।
बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल के बाद मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। 2022 में सपा और बसपा का खेल बिगाड़ने के लिए असदुद्दीन ओवैसी का पहला निशाना समाजवादी पार्टी है। खासकर जिन इलाकों में मुस्लिमों के कारण सपा का खासा जनाधार है, उन स्थानों पर ओवैसी ने मोर्चा संभाल लिया है। सपा का खेल बिगाड़ने के लिए ओवैसी ने जनसभाएं शुरू कर दी है। 2022 में सपा से टिकट नहीं मिलने पर बागी होने वाले नेताओं के लिए ओवैसी ने अपनी पार्टी का दरवाजा खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। ओवैसी की सभा में जुट रही मुस्लिमों की भीड़ से सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद नेता बेचैन है।
मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर मंडल पर फोकस
फिलहाल ओवैसी ने मुस्लिमों की ज्यादा तादात वाले मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल को अपना ठिकाना बनाया है। मुरादाबाद के साथ ही सम्भल, गाजियाबाद जैसे क्षेत्रों में ओवैसी अपनी सभाएं कर चुके हैं। इनमें मुस्लिमों की भारी भीड़ जुटी। भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर ने अपने प्रभाव वाले सहारनपुर मंडल समेत पूरे पश्चिम उप्र में बसपा के प्रमुख वोट बैंक दलितों और मुस्लिम गठजोड़ पर फोकस किया है और इसी रणनीति को लेकर चुनावी दांव-पेंच आजमाए जा रहे हैं।
मुरादाबाद मंडल में सपा को मिली थी संजीवनी
पश्चिम उप्र में मुरादाबाद मंडल में 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की प्रचंड लहर के बावजूद सपा को संजीवनी मिली थी। मुरादाबाद में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा था। सम्भल की असमोली सीट पर सपा की पिंकी यादव विधायक बनी थी। मुरादाबाद जनपद की छह में चार विधानसभा सीटों पर सपा प्रत्याशी चुनाव जीते। इसी तरह से अमरोहा में भी सपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसे में इन इलाकों में ओवैसी के ताल ठोंकने से सपा में खलबली मच गई है। खासकर मुस्लिम युवाओं के ओवैसी की सभा में जुटने से राजनीतिक समीकरण बिगड़ने की आशंका बन गई है।
वोट कटवा की संभावना जता रहे ओवैसी
राजनीतिक विश्लेषक पुष्पेंद्र कुमार का कहना है कि ओवैसी के पश्चिम उप्र में प्रभावी ढंग से जनसभाएं करने के दूरगामी परिणाम आएंगे। इसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी, रालोद, बसपा, कांग्रेस को होगा और भाजपा को इससे फायदा होगा। मुस्लिम मतों के बंटने से उत्तर प्रदेश में भाजपा की चुनावी राह आसान हो जाएगी।
भाजपा का एजेंट बताने से नहीं चूक रहे
अपनी सियासी जमीन खिसकने की आशंका से सपा, बसपा, कांग्रेस नेताओं ने ओवैसी को भाजपा का एजेंट कहना शुरू कर दिया है। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी इसका मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं तो जनसभाओं में जुट रही भीड़ भी इन नेताओं की पेशानी पर बल डाल रही है। सभी नेताओं को अपने वोट कटने की चिंता सताने लगी है। मुस्लिम मतों के सहारे राजनीति करने वाली पार्टियों के नेता परेशान है।
राजनीतिक विश्लेषक संजीव शर्मा कहते हैं कि ओवैसी को हल्के में लेना भूल होगी। खासकर सपा को ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने का खामियाजा उठाना पड़ सकता है।