विधायक निधि के दुरुपयोग मामले में मुख्तार अंसारी की जमानत खारिज

हाईकोर्ट ने कहा- मुख्तार एक सफेदपोश बदमाश है, 50 से अधिक गम्भीर मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे एक में भी नहीं मिली सजा

विधायक निधि के दुरुपयोग मामले में मुख्तार अंसारी की जमानत खारिज

प्रयागराज, 13 जून । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में आरोपित मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष व तीन नौकरशाह की कमेटी से विधायक निधि के दुरुपयोग की आडिट कराई जाये। हाईकोर्ट ने कहा मुख्तार अंसारी के खिलाफ 50 से भी अधिक केस विभिन्न जगहों पर दर्ज हैं लेकिन उसे अभी तक एक केस में भी सजा नहीं मिल सकी है।

अंसारी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा हिंदी भाषी राज्यों में अंसारी की राबिन हुड की ख्याति के चलते पहचान बताने की जरूरत नहीं है। 1986 से अपराध की दुनिया से जुड़े अंसारी के खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक केस दर्ज हैं, लेकिन आज तक किसी केस में भी उसे सजा नहीं मिल सकी। यह एक सफेदपोश अपराधी है और न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है। जेल में बंद रहते विधायक चुना गया।

विधायक निधि से 25 लाख रुपये स्कूल के लिए दिये, जिसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ और उसने उसे भी हजम कर गये। करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग किया गया। ऐसे में वह जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा माफिया के आपराधिक इतिहास को देखते हुए जमानत देना उचित नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अन्य आरोपित को मिली जमानत की पैरिटी याची के आपराधिक इतिहास को देखते हुए नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस मामले में लंबी बहस के बाद 20 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था।

उल्लेखनीय है कि मऊ जिले के सराय लखंसी थाने में मुख्तार अंसारी व चार अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर में विधायक निधि के दुरुपयोग का आरोप है। स्कूल निर्माण कार्य नहीं किया गया और पैसे की बंदरबांट कर ली गई। याची का कहना था कि विधायक निधि का आवंटन करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि फंड उन्हीं द्वारा जारी किया जाता है। विधायक होने के नाते उसे फंसाया गया है।

कोर्ट ने याची की छवि और अपराधों में संलिप्तता तथा 2005 से जेल में बंद होने के बावजूद किसी केस में सजा न हो पाने को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इन्कार कर दिया है।