विवाहित पुत्री मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की हकदार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
विवाहित पुत्री को मृतक आश्रित में नहीं मिल सकती नियुक्ति
प्रयागराज, 02 अक्टूबर । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाहित पुत्री मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने की हकदार नहीं हैं।
कोर्ट ने इसके तीन कारण बताते हुए कहा कि सर्वप्रथम यूपी में शिक्षण संस्थाओं के लिए बने रेग्यूलेशन 1995 के तहत विवाहित पुत्री परिवार में शामिल नहीं है। द्वितीय आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग अधिकार के रूप में नहीं की जा सकती। याची ने छिपाया कि उसकी मां को पारिवारिक पेंशन मिल रही है। वह याची पर आश्रित नहीं है। तीसरा यह कि कानून एवं परम्परा दोनों के अनुसार विवाहित पुत्री अपने पति की आश्रित होती है, पिता की आश्रित नहीं होती।
कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए एकलपीठ के विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति देने के आदेश 9 अगस्त 21 को रद्द कर दिया है। यह फैसला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम.एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है।
माधवी मिश्रा ने विवाहिता पुत्री के तौर पर विमला श्रीवास्तव केस के आधार पर मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति की मांग की। याची के पिता इंटर कॉलेज में तदर्थ प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई।
राज्य सरकार की अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता का कहना था कि मृतक आश्रित विनियमावली 1995, साधारण खंड अधिनियम 1904, इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम व 30 जुलाई 1992 के शासनादेश के तहत विधवा, विधुर, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने का हकदार माना गया है। 1974 की मृतक आश्रित सेवा नियमावली कालेज की नियुक्ति पर लागू नहीं होती। एकलपीठ ने गलत ढंग से इसके आधार पर नियुक्ति का आदेश दिया है। वैसे भी सामान्य श्रेणी का पद खाली नहीं है। मृतक की विधवा पेंशन पा रही है। जिला विद्यालय निरीक्षक शाहजहांपुर ने नियुक्ति से इंकार कर गलती नहीं की है।
याची अधिवक्ता का कहना था कि सरकार ने कल्याणकारी नीति अपनाई है। विमला श्रीवास्तव केस में कोर्ट ने पुत्र-पुत्री में विवाहित होने के आधार पर भेद करने को असंवैधानिक करार दिया है और नियमावली के अविवाहित शब्द को रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि आश्रित की नियुक्ति का नियम जीविकोपार्जन करने वाले की अचानक मौत से उत्पन्न आर्थिक संकट में मदद के लिए की जाती है। मान्यता प्राप्त एडेड कालेजों के आश्रित कोटे में नियुक्ति की अलग नियमावली है। ऐसे में सरकारी सेवकों की 1994 की नियमावली इसमें लागू नहीं होगी।