महाकुम्भ: फिर चर्चा में आया किन्नर अखाड़ा, आचार्य महामंडलेश्वर के पद को लेकर शुरू हुआ विवाद

महाकुम्भ: फिर चर्चा में आया किन्नर अखाड़ा, आचार्य महामंडलेश्वर के पद को लेकर शुरू हुआ विवाद

महाकुम्भ: फिर चर्चा में आया किन्नर अखाड़ा, आचार्य महामंडलेश्वर के पद को लेकर शुरू हुआ विवाद

महाकुम्भ नगर, 31 जनवरी । प्रयागराज महाकुम्भ में किन्नर अखाड़ा एक बार फिर चर्चा में आ गया। अखाड़े में अचार्य महामंडलेश्वर के पद को लेकर शुक्रवार को एक विवाद खड़ा हो गया है। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर के पद से मुक्त करता हूं। शीघ्र उन्हें लिखित सूचना दे दी जायेगी। यह जानकारी शुक्रवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए अपने आप को किन्नर अखाड़ा का संस्थापक बताते हुए ऋषि अजय दास और महामंडलेश्वर कंप्यूटर बाबा ने कहा।



उन्होंने कहा कि धर्म प्रचार—प्रसार व धार्मिक कर्मकांड के साथ ही किन्नर समाज के उत्थान के लिए आवश्यकता पर उनकी नियुक्ति की गई थी। लेकिन लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी सर्वदा भटक चुकें है। इन्होंने बिना सहमति के जूना अखाड़ा के साथ एक लिखित अनुबंध 2019 के प्रयागराज कुम्भ में किया। जो अनैतिक ही नहीं अपितु एक प्रकार की धोखाधड़ी है। बिना संस्थापक के सहमति एवं हस्ताक्षर के जूना अखाड़ा एवं किन्नर अखाड़ा के बीच का अनुबंध विधि अनुकूल नहीं है। अनुबंध में जूना अखाड़े के किन्नर अखाड़ा संबोधित किया है। इसका अर्थ है कि किन्नर अखाड़ा 14 अखाड़ा , उन्होंने स्वीकार किया है। इसका अर्थ यह हुआ कि सनातन धर्म में 13 नहीं अपितु 14 अखाड़े मान्य है, यह बात अनुबंध से स्वयं सिद्ध है।

आरोप लगाया ​कि आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी तथा कथित नरे असंवैधानिक ही नहीं सनातन धर्म व देश हित छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसे देशद्रोही के मामले में लिप्त महिला जो की फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हुई है, उसे बिना किसी धार्मिक व अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि व पट्टा अभिषेक कर दिया। जिस कारण से मुझे आज बेमन से मजबूर होकर देश हित में सनातन एवं समाज हित में उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर पद से मुक्त कर दिया गया।

ऋषि अजय दास संत कहलाने लायक नहीं, अखाड़े की संपत्ति गबनकर जयपुर में बसाया परिवार

वहीं दूसरी तरफ किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ऋषि अजय दास को अखाड़े की स्थापना के एक वर्ष बाद निकाल दिया गया ​था। उन्होंने कहा अब वह संत नहीं रहे, उन्होंने अखाड़े में समाज से दान की संपत्ति से गबन किया और खुद अखाड़े की संपत्ति बेचकर अपनी पत्नी व बेटियों के साथ राजस्थान में रहते है। वह संत परम्परा को कलंकित कर चुकें है। ऋषि अजय दास के एक महिला से ही नहीं चार महिलाओं से अनैतिक संबंध है।

उन्होंने कहा कि ममता कुलकर्णी सनातन धर्म की बेटी है, यदि वह किसी दूसरे धर्म में चली गई होती तो किसी संत के मुंह से कोई सवाल न खड़ा होता। उसने सनातन में रहते हुए अपने को काफी दिनों तक संभाला। मेरे सानिध्य में आने के बाद से वह सनातन के प्रति और श्रद्धा बढ़ गई और वैराग्य लेने की इच्छा प्रकट किया तो उसकी विधिवत अखाड़े की परंपरा के मुताबिक सारे संस्कार कराने के बाद पट्टाभिषेक कराया गया। लेकिन सनातन के नाम ढोंग रचने वाले ऋषि अजय दास जिनकी पत्नी व बेटी खुद की है और अन्य चार महिलाओं से संबंध है, वह संत कहलाने लायक नहीं है।

किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ है 13 अखाड़ों का समर्थन: रविन्द्र पुरी

किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी के निष्कासन पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने नाराजगी जताई है। परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी बोले, मैं पूछना चाहता हूं कि आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निकालने वाले वह (ऋषि अजय दास) कौन हैं। सभी 13 अखाड़ों ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का समर्थन किया है। जूना अखाड़े ने अपने साथ स्नान करने का आश्वासन दिया था और जूना अखाड़ा उन्हें अपने साथ स्नान कराता है।