ट्रायल में देरी, शीघ्र पूरा होने की सम्भावना नहीं तो अभियुक्त को जमानत पाने का हक : हाइकोर्ट

ट्रायल में देरी, शीघ्र पूरा होने की सम्भावना नहीं तो अभियुक्त को जमानत पाने का हक : हाइकोर्ट

ट्रायल में देरी, शीघ्र पूरा होने की सम्भावना नहीं तो अभियुक्त को जमानत पाने का हक : हाइकोर्ट

-सात साल नौ माह से जेल में बंद हत्यारोपित की सशर्त जमानत मंजूर

प्रयागराज, 31 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि अभियुक्त लम्बे समय से जेल में बंद है और ट्रायल शीघ्र पूरा होने की सम्भावना नहीं है तो उसे राहत पाने का अधिकार है।

कोर्ट ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि जमानत अभियुक्त की ट्रायल के दौरान कोर्ट में हाजिरी सुनिश्चित करने की लिए दी जाती है। कोर्ट ने हत्या केस में सात साल नौ माह से जेल में बंद अभियुक्त की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है और उसे व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति लेकर रिहा करने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल ने गोरखपुर, झंगहा थाना क्षेत्र के सर्वजीत सिंह की द्वितीय जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य पेश नहीं किया गया जिससे पता चले कि अभियुक्त भाग जायेगा या गवाहों पर दबाव डालेगा।

कोर्ट ने कहा, यह अफसोसजनक है कि एक व्यक्ति सात साल नौ महीने से जेल में बंद है। 16 गवाहों में से केवल तीन का ही परीक्षण किया जा सका है। तीन अभियुक्त फरार हैं। 25 अक्टूबर 19 से ट्रायल रुका हुआ है। कोर्ट ने कहा स्पीडी ट्रायल अभियुक्त का संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मूल अधिकार है। निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की सम्भावना नहीं है। ऐसे में उसे बिना देरी के राहत पाने का हक है।

मालूम हो कि याची को हत्या व जानलेवा हमले के आरोप में गिरफ्तार कर 23 मई 17 को जेल भेज दिया गया। 16 अगस्त 17 को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और अदालत ने 25 जनवरी 18 को आरोप निर्मित कर दिया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के तमाम फैसलों के हवाले से कहा कि ट्रायल पूरा होने में देरी हो तो अभियुक्त को जमानत पाने का अधिकार है।