आईआईटी की मैग्नेटिज्म और स्पिनट्रॉनिक्स अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला ने युवाओं ​को किया सशक्त

आईआईटी की मैग्नेटिज्म और स्पिनट्रॉनिक्स अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला ने युवाओं ​को किया सशक्त

आईआईटी की मैग्नेटिज्म और स्पिनट्रॉनिक्स अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला ने युवाओं ​को किया सशक्त

कानपुर, 04 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के भौतिकी विभाग ने तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका समापन बुधवार को हुआ। तीन दिवसीय 'स्कूल ऑन मैग्नेटिज्म एंड स्पिनट्रॉनिक्स 2024' कार्यशाला में युवा वैज्ञानिकों को सशक्त बनाने और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षेत्रों में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किया गया। इसके साथ ही वैश्विक ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने और नवाचार को बढ़ावा देने पर भी विचार विमर्श हुआ। कहा गया कि इस तरह की पहल युवा शोधकर्ताओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।

आईआईटी कानपुर के भौतिकी विभाग ने मैग्नेटिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (एमएसआई) के सहयोग से 2 से 4 दिसम्बर तक आयोजित प्रतिष्ठित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में सम्पूर्ण भारत से 100 से अधिक महत्वाकांक्षी शोधकर्ताओं और छात्रों को एक आने का मौका मिला। जिससे उन्हें मैग्नेटिज्म और स्पिनट्रॉनिक्स के उन्नत क्षेत्रों का पता लगाने का अभूतपूर्व अवसर मिला। कार्यशाला में 30 वैश्विक विशेषज्ञों की एक शानदार लाइनअप शामिल थी, जिन्होंने इन गतिशील क्षेत्रों में मूलभूत अवधारणाओं और नवीनतम प्रगति की खोज करते हुए 13 व्यापक ट्यूटोरियल और 17 व्यावहारिक व्याख्यान दिए ।

मीडिया प्रभारी रुचा खेडेकर ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत औपचारिक उद्घाटन समारोह से हुई, जिसमें अकादमिक परम्परा और वैज्ञानिक सम्भावनाओं का मिश्रण था। पारम्परिक दीप प्रज्ज्वलन समारोह का नेतृत्व आईआईटी कानपुर के प्रतिष्ठित अकादमिक लीडरों प्रोफेसर कुमार वैभव श्रीवास्तव, डीन ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, प्रोफेसर तपोब्रत सरकार भौतिकी विभाग के प्रमुख और कार्यशाला के संयोजक प्रोफेसर रोहित मेदवाल ने किया। पारम्परिक व्याख्यान प्रारूपों से परे प्रतिभागियों ने इंटरैक्टिव शिक्षण सत्रों में भाग लिया। उन्नत शोध विषयों पर गहन चर्चा की और एक समर्पित पोस्टर सत्र के दौरान अपने अभिनव कार्यों का प्रदर्शन किया। इस व्यावहारिक दृष्टिकोण ने एक सहयोगी वातावरण को बढ़ावा दिया जिसने आलोचनात्मक सोच और बौद्धिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया।

प्रो. रोहित मेदवाल ने कार्यशाला के उद्देश्य को संक्षेप में बताते हुए कहा कि इस कार्यशाला ने अकादमिक और उन्नत अनुसंधान के बीच सेतु का काम किया तथा युवा मस्तिष्कों को अन्वेषण, नवाचार और वैश्विक वैज्ञानिक प्रगति में योगदान करने के लिए एक गतिशील मंच प्रदान किया। इस तरह के प्रयास न केवल भविष्य की सफलताओं को प्रेरित करते हैं, बल्कि प्रभावशाली अनुसंधान और परिवर्तनकारी खोजों के लिए आधार को भी मजबूत करते हैं।