ईरान-इजराइल संघर्ष पर एर्दोगन ने ट्रंप से की तुरंत कार्रवाई की मांग

मध्य पूर्व में तबाही टालने की अपील

ईरान-इजराइल संघर्ष पर एर्दोगन ने ट्रंप से की तुरंत कार्रवाई की मांग

अंकारा/वॉशिंगटन, 16 जून । मध्य पूर्व क्षेत्र में ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव और संघर्ष को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की। इस उच्च-स्तरीय बातचीत में एर्दोगन ने क्षेत्र में संभावित तबाही को रोकने के लिए "तत्काल कार्रवाई" करने की जोरदार अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस स्थिति पर शीघ्र नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह संघर्ष पूरे मध्य पूर्व को अस्थिरता और विनाश की चपेट में ले सकता है।

तुर्किए राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी आधिकारिक बयान, इस बातचीत के महत्व को रेखांकित करता है। बयान के अनुसार, “राष्ट्रपति एर्दोगन ने राष्ट्रपति ट्रंप की हालिया टिप्पणी की सराहना की, जिसमें उन्होंने ईरान-इजराइल संघर्ष को सुलझाने की दिशा में प्रयास करने की बात कही थी।” बयान में आगे कहा गया कि एर्दोगन ने इस बात पर जोर दिया कि इस खतरनाक संघर्ष को क्षेत्र के अन्य हिस्सों में फैलने से रोकने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाया जाना अपरिहार्य है। उन्होंने अमेरिका की भूमिका को इस नाजुक समय में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

24 घंटे के भीतर दूसरी बार हुई बातचीत, यह तथ्य इस मुद्दे की गंभीरता और दोनों देशों की नेतृत्व स्तर पर सक्रियता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इतनी कम अवधि में दो राष्ट्राध्यक्षों के बीच यह दूसरी फोन वार्ता थी। इस दौरान राष्ट्रपति एर्दोगन ने क्षेत्र की तनावपूर्ण स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि “इजराइल द्वारा ईरान पर किए गए कथित हमलों ने हिंसा का जो खतरनाक चक्र शुरू किया है, उससे न केवल दोनों देशों को, बल्कि क्षेत्र की समग्र स्थिरता को भी अपूरणीय आर्थिक और नागरिक क्षति पहुंची है।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि अब समय आ गया है कि इस खतरनाक और विनाशकारी हालात पर तुरंत विराम लगाया जाए और तनाव कम करने के उपाय किए जाएं।

क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा संकट, तुर्किए के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है। तुर्किए पहले ही कई बार इस बात की चेतावनी जारी कर चुका है कि अगर ईरान और इजराइल के बीच सैन्य टकराव और तेज होता है, तो इससे न केवल दोनों देश प्रभावित होंगे, बल्कि सीरिया, लेबनान, इराक और खाड़ी देशों में भी अस्थिरता की लहर फैल सकती है। तुर्किए खुद सीरिया और इराक के साथ लंबी सीमा साझा करता है और इन क्षेत्रों में सक्रिय सैन्य भूमिका भी निभा चुका है। ऐसे में, सीमा-पार संघर्षों और अस्थिरता के प्रत्यक्ष असर को लेकर उसकी चिंताएं काफी गंभीर और वास्तविक हैं। तुर्किए को डर है कि यह संघर्ष प्रॉक्सी युद्धों को बढ़ावा देगा और पूरे क्षेत्र को एक बड़े टकराव में खींच लेगा, जिसका सीधा असर उसकी अपनी सुरक्षा और क्षेत्रीय प्रभाव पर पड़ेगा।

ट्रंप की मध्यस्थता भूमिका पर नजर, इस पूरे घटनाक्रम में एक महत्वपूर्ण पहलू है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि वे ईरान और इजराइल के बीच तनाव कम करने और संभावित समझौते की संभावना तलाश रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि वे इस जटिल मसले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी एक संभावित और प्रभावी मध्यस्थ के रूप में देखते हैं, विशेष रूप से सीरिया में रूस की उपस्थिति और क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ियों के साथ उसके संबंधों को देखते हुए। राष्ट्रपति एर्दोगन के इस सीधे और आपातकालीन अपील के बाद, ईरान-इजराइल संघर्ष को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को एक नई गति मिलने की संभावना है। यदि अमेरिका, तुर्किए और रूस जैसे प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय खिलाड़ी इस मुद्दे पर समन्वय स्थापित करके आगे बढ़ते हैं, तो मध्य पूर्व में संभावित तबाही को टालने की आशा बढ़ सकती है। यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में ये प्रमुख शक्तियां इस गंभीर चुनौती का सामना करने के लिए किस प्रकार के ठोस कदम उठाती हैं।