आनंद गिरि की जमानत पर फैसला सुरक्षित
आनंद गिरि की जमानत पर फैसला सुरक्षित
प्रयागराज, 07 सितम्बर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को खुदकुशी के लिए मजबूर करने के आरोपति शिष्य आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट 9 सितम्बर को फैसला सुनायेगी। जमानत अर्जी की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने की।
याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी का कहना था कि याची व महंत नरेंद्र गिरी में मनमुटाव था। जिसको लेकर विवाद हुआ। सितम्बर 21 में आनंद गिरि हरिद्वार चले गए थे और बाघंबरी गद्दी प्रयागराज से सम्बंध तोड़ लिया था। मई 21 मे इंदू मिश्र ने लखनऊ में गुरू शिष्य के बीच समझौता कराया। उसके बाद याची ने कभी गुरू से सम्पर्क नहीं किया और न ही नरेंद्र गिरी ने फोन किया। मौत से पहले छह महीने तक याची का किसी प्रकार से कोई सम्बंध नहीं था। केवल अफवाह के आधार पर याची को खुदकुशी से जोड़ा गया है। महंत ने भी सुनी हुई बातों को लेकर मृत्यु पूर्व आत्महत्या नोट लिखा है। किसने उन्हें बताया की याची उन्हें वीडियो वायरल कर बदनाम कर देगा, मरने जा रहे महंत ने नोट में उसके नाम का जिक्र नहीं किया।
दूसरी तरफ आद्या प्रसाद की महंत से काफी कहासुनी हुई थी। कठोर अपशब्द कहे थे। सीबीआई याची के खिलाफ आरोपों की पुष्टि के सबूत जुटाने में नाकामयाब रही है। याची को सुसाइड नोट के आधार पर सहारनपुर से गिरफ्तार कर प्रयागराज लाया गया। पिछले छह माह से गुरू शिष्य में न कोई बातचीत और न मुलाकात हुई। जिस आडियो के आधार पर सीबीआई ने याची पर महंत को बदनाम करने की बातचीत को वायरल करने का आरोप लगाया है, उसे याची ने रवीन्द्र गिरि को शिकायत के लहजे में भेजी थी कि बातचीत से साफ है कि महंत याची को दुराचार केस में फंसाने की सोच रहे हैं।
चतुर्वेदी ने कहा कि महंत की खुदकुशी से याची को कोई लाभ की संभावना नहीं है। क्योंकि महंत ने नजदीकी शिष्य याची को निकाल दिया था और महंत ने सतुआ बाबा से बात की और हरिद्वार जाने को कहा था और बाद में खुदकुशी कर ली। बाघंबरी गद्दी में 16 सीसीटीवी कैमरे लगे थे। महंत ने एक हफ्ते पहले डाटा खत्म करा दिया था। वह क्या छिपाना चाहते थे। फार्मेट से डिलीट डाटा क्लाउड में रहता है। परन्तु सीबीआई ने इसे देखने की जरूरत नहीं समझी।
शिकायतकर्ता के वकील नीरज तिवारी ने जमानत पर रिहा करने का समर्थन किया और कहा उन्होंने केवल पुलिस को सूचना दी थी। शिकायत नहीं की थी। शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि याची के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। दर्ज बयानों व सुसाइड नोट से खुदकुशी के लिए मजबूर करने के आरोप के साक्ष्य हैं। विचारण अदालत आरोप निर्मित करने की सुनवाई कर रही है। लोवर कोर्ट में 19 सितम्बर को अगली तारीख है।
सीबीआई के अधिवक्ता अनुराग कुमार सिंह ने कहा कि दो लोगों की बातचीत का आडियो बंधवा हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी संदीप तिवारी के कहने पर पुरुषोत्तम मिश्र ने रिकॉर्ड किया। जिसे हरिद्वार में महंत रवीन्द्र पुरी को याची ने भेजा। जो महंत तक पहुंचा। जिससे वे तनाव में आ गए। उन्होंने लिखा कि जब तक सच्चाई पता चलेगी मैं बदनाम हो चुका हूंगा। मैं आत्महत्या कर रहा हूं। खुदकुशी नोट की लिखावट महंत की लिखावट से मैच करती है। संदीप तिवारी ने रवीन्द्र पुरी को आडियो भेजी। चरित्र हनन की कोशिश की गई।
कोर्ट ने दोनों पक्षों द्वारा अधूरे दस्तावेज दाखिल करने पर नाराजगी जताई। सी बी आई का कहना था कि आडियो से महंत को खुदकुशी के लिए उकसाया गया। संदीप तिवारी याची की गंगा पर बनी संस्था से जुड़े हैं। याची अधिवक्ता का कहना था कि आडियो मई 21 से पहले की है। मई में समझौता हुआ। गुरू ने शिष्य को माफ कर दिया था और आरोपी ने छह माह तक किसी प्रकार का कोई सम्बंध नहीं किया। वह हरिद्वार में अलग हो गया था। किसकी अफवाह से महंत ने खुदकुशी की, सीबीआई उसका पता नहीं लगा सकी। कहा गया कि याची को जमानत पर रिहा किया जाए। कोर्ट 9 सितम्बर को फैसला सुनायेगी।