वाराणसी में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी, वोट शेयर 54 से 4 फीसदी पर लुढ़का

वाराणसी में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी, वोट शेयर 54 से 4 फीसदी पर लुढ़का

वाराणसी में कांग्रेस तीसरे नंबर की पार्टी, वोट शेयर 54 से 4 फीसदी पर लुढ़का

लखनऊ, 28 मई । पूर्वांचल की अहम वाराणसी सीट पर किसी जमाने में कांग्रेस मजबूत स्थिति में हुआ करती थी। इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनावों में 7 बार कांग्रेस ने जीत का परचम फहराया लेकिन पिछले 35 सालों में उसे एक बार जीत नसीब हुई है। पिछले 67 वर्षों में उसका वोट शेयर भी 54 फीसदी से लुढ़ककर 4 फीसदी पर पहुंच गया। पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत बचा पाने में विफल रहे।


पहले तीन चुनाव कांग्रेस ने जीते

देश में सन् 1952 को हुए पहले चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट का नाम बनारस डिस्ट्रिक्ट सेन्ट्रल हुआ करता था। कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को यहां का पहला सांसद बनने का सौभाग्य मिला। इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई। चौथी लोकसभा के लिए 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के विजय रथ को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम) के सत्य नारायण सिंंह ने रोक दिया। कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ को हार का सामना करना पड़ा।

1971 में जीत के साथ वापसी

पांचवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के राजा राम शास्त्री ने जीत का परचम लहराया। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में वाराणसी से भारतीय लोकदल (बीएलडी) के चन्द्रशेखर ने कुर्सी पर कब्जा किया।


1980 और 1984 में मिली जीत

1977 में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस ने जीत के साथ वापसी की। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कमलापति त्रिपाठी विजयी हुए। उन्होंने जनता पार्टी सेक्यूलर (जेएनपी-एस) के बड़े नेता राजनारायण को शिकस्त दी। वहीं 1984 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर श्याम लाल यादव यहां से जीते। उनका मुकाबला सीपीआई के उदय से था।

पांचवें स्थान पर लुढ़की कांग्रेस

1984 के चुनाव में मिली जीत के बाद हुए पांच चुनावों में कांग्रेस मुख्य दौड़ से बाहर रही। 1996 और 1998 के चुनाव में वह पांचवें स्थान पर लुढ़क गई। 1989 और 1999 के चुनाव में कांग्रेस दूसरे और 1991 के चुनाव में तीसरे स्थान पर रही।


20 साल बाद जीत नसीब हुई

पिछली जीत के 20 साल बाद 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस को जीत नसीब हुई। कांग्रेस के डॉ. राजेश कुमार मिश्रा जीतकर दिल्ली पहुंचे। राजेश मिश्रा का मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद शंकर प्रसाद जायसवाल से था।


पिछले तीन चुनाव का हाल

2009 के आम चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन सांसद डॉ. राजेश मिश्रा को भाजपा के डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने बुरी तरह परास्त किया। कांग्रेस प्रत्याशी लुढ़ककर पांचवें स्थान पर पहुंच गए और उनकी जमानत जब्त हो गई। 2014 के चुनाव में कांग्रेस के अजय राय तीसरे स्थान पर रहे। अजय अपनी जमानत जब्त होने से बचाने में विफल रहे। यह चुनाव भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी ने जीता था। 2019 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के अजय राय तीसरे स्थान पर रहे और उनकी जमानत जब्त हुई। ये चुनाव भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी ने करीब पांच लाख मतों के अंतर से जीता था। गौरतलब है कि भाजपा अब तक 6 बार वाराणसी सीट जीत चुकी है। पिछले 15 वर्षों से उसका यहां कब्जा है।



2024 के चुनाव में कांग्रेस

18वीं लोकसभ के चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन है। इंडी गठबंधन के सीट बंटवारे में वाराणसी सीट कांग्रेस के खाते में है। इस सीट पर कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को मौदान में उतारा है। उनका मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से है।



चुनाव वर्ष- वोट प्रतिशत-नतीजा

1952 - 48.48 - जीत

1957 - 54.39 - जीत



1962 - 40.00 - जीत



1967 - 31.10 - हार



1971 - 46.97 - जीत



1977 - 17.42 - हार



1980 - 36.91 - जीत



1984 - 41.58 - जीत



1989 - 22.44 - हार



1991 - 12.66 - हार



1996 - 4.01 - हार



1998 - 9.95 - हार



1999 - 25.48 - हार



2004 - 32.68 - जीत



2009 - 9.98 - हार



2014 - 7.34 - हार



2019 - 14.38 - हार