बाबा कालभैरव के स्वर्ण रजत पंचबदन प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा निकली
डमरूओं की गड़गड़ाहट से पूरा क्षेत्र हुआ गुंजायमान, झांकियां आकर्षण का केन्द्र रहीं
वाराणसी, 20 जून । काशी पुराधिपति की नगरी में आषाढ़ सुदी द्वितीया तिथि मंगलवार को बाबा कालभैरव के स्वर्ण रजत निर्मित पंचबदन प्रतिमा की भव्य 70वीं शोभायात्रा निकली। शोभायात्रा में शामिल होने के लिए लोगों में होड़ मची रही। प्रतिवर्ष की भांति स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी के बैनर तले चौखंभा स्थित काठ की हवेली से शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा निकालने के पूर्व कमेटी के अध्यक्ष कमल कुमार सिंह, महामंत्री सतीश कुमार सिंह, शोभायात्रा मंत्री जनार्दन वर्मा एवं कमेटी के अन्य पदाधिकारियों के साथ मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद कैलाश सोनी ने बाबा कालभैरव के पंचबदन प्रतिमा की आरती उतारी। इसके बाद बाबा के प्रतिमा को पुष्पों से सुसज्जित रथ पर सवार कराया गया। इसके बाद शोभायात्रा निकली।
शोभायात्रा में आगे घुड़सवार पुलिस चल रही थी। इसके बाद ताशा बाजा के साथ ध्वजा पताका लिए श्रद्धालु चल रहे थे। 11 छतरी युक्त घोड़ों पर देव स्वरूप धारण किए उनके गणों के साथ बैंड बाजा और पाइप बैंड की धुनों के साथ टोली भी शोभा यात्रा में चल रही थी। शोभा यात्रा में कमेटी के संस्थापक स्वर्गीय किशुनदास, स्वर्गीय भीखू सिंह की तस्वीर भी सुसज्जित ट्राली पर रखी गई थी। साथ में उनके परिजन भी चल रहे थे। माता काली, मां दुर्गा रूप धारण किए कलाकार अपने करतब दिखाते चल रही थी।
शोभायात्रा का मुख्य आकर्षण गोविंदेश्वर महादेव की झांकी, डमरू दल, राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, हनुमान जी तथा काली जी के प्रतिमूर्ति के साथ ही नीरज सेठ की टीम के कलाकार रहे। कलाकारों के संगीतमय भजन पर लोग झूमते रहे। शोभायात्रा काठ की हवेली से उठकर बीबीहटिया, जतनबर, विशेश्वरगंज, महामृत्युंजय, दारानगर, मैदागिन, बुलानाला, चौक, नारियल बाजार, गोविंदपुरा, ठठेरी बाजार, सोराकुआं, गोलघर होते हुए कालभैरव चौराहे तक गई, जहां बाबा की भव्य आरती उतारकर प्रतिमा को मंदिर में प्रतिस्थापित किया गया।
कालभैरव मंदिर में सायंकाल पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के आचार्यत्व में 11 भूदेव बसंत पूजन करेंगे। मंदिर में रात 11 बजे महाआरती तक भक्तों के दर्शन पूजन का क्रम चलता रहेगा। कमेटी के अध्यक्ष कमल कुमार सिंह के अनुसार वर्ष 1954 में निर्मित बाबा काल भैरव के स्वर्ण - रजत प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा प्रतिवर्ष आषाढ़ सुदी द्वितीया के दिन स्वर्णकार बंधु निकालते हैं। इस वर्ष भी शोभयात्रा निकाली गई। बाबा के स्वागत में विभिन्न सामाजिक संगठनों तथा बाबा के भक्तों ने शोभायात्रा की राह में 40 स्थानों पर पूजा अर्चना की।