“सावन प्रारम्भ विशेष : शिव का प्रिय बिल्वपत्र”: डॉ. रीना रवि मालपानी
“सावन प्रारम्भ विशेष : शिव का प्रिय बिल्वपत्र”
आया है जटाधारी, त्रिपुरारी और उमापति का प्रिय माह।
बिल्वपत्र से शिव अर्चना तो बना सकती सरल जीवन की राह॥
पुराणों एवं शास्त्रों में वर्णित है बिल्वपत्र की महिमा।
शिव की तो है सदैव ध्यानमग्न, शांतचित्त भावभंगिमा॥
चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, सोमवार इत्यादि को बिल्वपत्र तोड़ना है वर्जित।
बिल्वपत्र को अर्पित करने से नीलकंठ को होती है शीतलता अर्जित॥
बिल्वपत्र अर्पित करने से आशुतोष होते शीघ्र प्रसन्न।
भक्तिभाव से करें बिल्वपत्र का रोपण और संवर्धन॥
चिकनी सतह से अर्पित किया जाता बिल्वपत्र।
उत्तम स्वास्थ्य की मनोकामना हेतु लगाए इस पर चन्दन का इत्र॥
बिल्वपत्र अर्पण पश्चात करें जलधारा अर्पित।
शिव पर आस्था के साथ करें अपने विषाद भी शिव को समर्पित॥
बिल्वपत्र नहीं होना चाहिए शिव पूजन में खंडित।
भूत-भावन भोलेनाथ की स्तुति से तो रावण बना था प्रकाण्ड पंडित॥
श्रद्धा से अर्पित किया एक बिल्वपत्र भी करता अनेक पापों का अंत।
डॉ. रीना कहती, शिवसाधना तो ला सकती जीवन में बसंत॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)