महाकुम्भ में सनातन धर्म के गहरे दर्शन को आत्मसात करने की राह दिखा रहे योगगुरु रामदेव

महाकुम्भ में सनातन धर्म के गहरे दर्शन को आत्मसात करने की राह दिखा रहे योगगुरु रामदेव

महाकुम्भ में सनातन धर्म के गहरे दर्शन को आत्मसात करने की राह दिखा रहे योगगुरु रामदेव

— धर्म नहीं जीवन जीने की विधि है सनातन संस्कृति, पूरी दुनिया को करती है प्रेरित

— बोले, 'अमृत है हरि नाम जगत में', अध्यात्म, भजन, योग और संस्कारों से जोड़ें जीवन

— दिए संदेश, राशन कम और आसन ज्यादा करें, भोजन कम और भजन ज्यादा करें

— योगगुरु रामदेव दे रहे विश्व कल्याण का सूत्र, महाकुम्भ में आत्मा की खोज

महाकुम्भ नगर, 28 जनवरी (हि.स.)। गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर चल रहे महाकुम्भ में जहां श्रद्धालुओं की आस्था का सागर उमड़ा हुआ है। वहीं विश्व योगगुरु रामदेव ने अपने प्रेरक संदेश और भजनों से सनातन संस्कृति की गहराई और दिव्यता को उजागर किया और कहा कि प्रयागराज में उत्सव है परन्तु परमार्थ निकेतन में महोत्सव है। उन्होंने भजन 'अमृत है हरि नाम जगत में' के माध्यम से यह स्मरण कराया कि केवल भौतिक सुखों के पीछे भागने के बजाय जीवन को अध्यात्म, भजन, योग और संस्कारों से जोड़ा जाए।

उन्हाेंने कहा कि सनातन संस्कृति भारत का गौरव है और इसका अद्भुत आकर्षण पूरे विश्व को प्रेरित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन संस्कृति केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक विधि है जो प्रेम, परोपकार और संतुलित जीवन पर आधारित है। उन्होंने सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि राशन कम और आसन ज्यादा करें, भोजन कम और भजन ज्यादा करें। यह संदेश आत्मसंयम और संतुलित जीवन शैली की ओर ले जाता है। योग और प्राणायाम को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाकर हर व्यक्ति न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पा सकता है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और आंतरिक शांति का अनुभव भी कर सकता है।

महाकुम्भ दिव्यता, आस्था और प्रेरणा का अमृत महोत्सव

स्वामी रामदेव के संदेश न केवल श्रद्धालुओं को योग और प्राणायाम के प्रति प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि उन्हें सनातन धर्म के गहरे दर्शन को आत्मसात करने का मार्ग भी दिखा रहे हैं। उनका आह्वान है कि हर व्यक्ति अपनी जीवन शैली को सुधारकर अपने भीतर की शक्ति को पहचानकर और सनातन संस्कृति को आत्मसात कर अपने जीवन को दिव्यता और ऊर्जा से भर सकता है।

योग से निकलेगा स्वास्थ्य रूपी अमृत

स्वामी रामदेव ने कहा कि योग और प्राणायाम से मानव शरीर में छिपा 'स्वास्थ्य रूपी अमृत' निकलता है। उन्होंने कहा कि यदि शरीर और आत्मा को शुद्ध किया जाए तो सभी प्रकार के रोग, चिंताएं और मानसिक विकार दूर हो सकते हैं। उन्होंने सनातन धर्म की वैज्ञानिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि इसका प्रत्येक पहलू मानव कल्याण के लिए है।

आत्मशुद्धि और प्रभु पर भरोसा हर समस्या का समाधान

स्वामी रामदेव ने कहा कि जब गुरु और प्रभु का अनुग्रह हमारे पास हो तो कोई भी ग्रह हमें परेशान नहीं कर सकता। यह संदेश उन्होंने उन लोगों को दिया जो कुंडली के दोषों और ग्रहों के प्रभाव के कारण चिंतित रहते हैं। स्वामीजी ने कहा कि आत्मशुद्धि और प्रभु पर भरोसा हर समस्या का समाधान है।

महाकुम्भ को बताया ब्रह्मांड की दिव्य शक्तियों का दिव्य संयोग

स्वामी रामदेव ने महाकुम्भ को ब्रह्मांड की दिव्य शक्तियों का दिव्य संयोग बताया। उन्होंने कहा कि यह दुर्लभ अवसर 144 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद आया है और यह हर व्यक्ति के लिए जीवन में एक नई दिशा और ऊर्जा पाने का अवसर है।

पवित्र धरती से लें नशा मुक्ति का संकल्प

उन्होंने महाकुम्भ में आए श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि इस पवित्र धरती से नशा छोड़ने का संकल्प लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि नशा न केवल शरीर को कमजोर करता है, बल्कि आत्मा और मन को भी दूषित करता है। महाकुम्भ जैसे दिव्य आयोजन से प्रेरणा लेकर हर व्यक्ति को अपनी आदतों में सुधार लाना चाहिए।

सनातन धर्म को जीने का आह्वान

स्वामी रामदेव ने कहा कि हम सभी सनातनी हिंदू हैं, इसलिए हमारे अंदर हिंदुत्व होना चाहिए। सनातन धर्म केवल जयकारा लगाने के लिए नहीं है, बल्कि इसे जीवन में अपनाने और जीने का धर्म है। उन्होंने सनातन के मूल्यों जैसे सत्य, अहिंसा, करुणा और सेवा का पालन करने का आग्रह किया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा बन रहे रामदेव के प्रेरक संदेश

स्वामी रामदेव के प्रेरक संदेश न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। उनके योग, प्राणायाम और सनातन संस्कृति के प्रति समर्पण ने भारत को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया है।

संस्कृति का पुनर्जागरण

महाकुम्भ के इस पावन अवसर पर स्वामी रामदेव ने सनातन संस्कृति के महत्व और मानवता के कल्याण के लिए इसके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने संदेश दिया कि कुम्भ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परम्परा और अध्यात्म का महोत्सव है जो पूरी दुनिया को शांति, प्रेम और ऊर्जा का संदेश देता है।