सावन के चौथे सोमवार पर काशी हुई शिवमय,चंहुओर कंकर-कंकर शंकर का नजारा

बाबा विश्वनाथ के पावन ज्योर्तिलिंग पर आस्था की अखंड जलधार, शिवभक्त ''कैलाशी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीज्यो'' के भाव से कर रहे झांकी दर्शन

सावन के चौथे सोमवार पर काशी हुई शिवमय,चंहुओर कंकर-कंकर शंकर का नजारा

वाराणसी,12 अगस्त । सावन माह के चौथे सोमवार पर बाबा विश्वनाथ की नगरी केशरियामय हो गई है। चंहुओर कंकर-कंकर शंकर का नजारा दिख रहा है। बाबा के स्वर्णमंडित दरबार में पूरे श्रद्धाभाव से पावन ज्योर्तिलिंग पर आस्था की अखंड जलधार गिर रही है। शिवभक्त ''कैलाशी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीज्यो'' के भाव से बाबा का झांकी दर्शन और जलाभिषेक कर आह्लादित है। धाम परिसर श्रद्धालुओं के हर-हर महादेव, काशी विश्वनाथ शंभों के गगनभेदी कालजयी उद्घोष से गुंजायमान है।


चौथे सोमवार पर परम्परानुसार शाम को मंदिर के गर्भगृह में बाबा का रूद्राक्ष श्रृंगार होगा। यह श्रृंगार शाम के समय भोग आरती से पूर्व होगा। इसके पहले दरबार में दर्शन पूजन के लिए लाखों शिवभक्त रविवार शाम से ही बैरिकेडिंग में कतारबद्ध होने लगे। दरबार में भोर में मंगला आरती के बाद मंदिर का पट खुला तो श्रद्धालु रेड कार्पेट पर चलकर दरबार में दर्शन पूजन के लिए पहुंचते रहे। पूरे दिन और देर शाम तक यहीं क्रम बना रहेगा। दरबार में ज्योतिर्लिंग पर बाहर बने पात्र से जलाभिषेक कर आह्लादित भाव से श्रद्धालु बाबा के झांकी दर्शन के बाद काशी विश्वनाथ धाम के भव्य और नव्य विस्तारित स्वरूप को देख मुक्त कंठ से इसकी प्रशंसा करते रहे। दरबार में जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चिकित्सक, एम्बुलेंस और एनडीआरएफ टीम को भी तैनात किया है। पेयजल से लेकर खोया पाया केंद्र, पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगाया गया है। मंदिर में गर्भगृह के पहले ही श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन एलईडी स्क्रीन पर श्रद्धालु कर रहे हैं। दरबार में जाने के लिए स्टील की रेलिंग के बीच बिछे कारपेट से श्रद्धालु जिगजैग कतार में होकर दरबार में पहुंच रहे हैं। बाबा के दरबार में आने वालों की कतार एक ओर गोदौलिया से बाबा दरबार तक है तो दूसरी ओर गंगा से बाबा दरबार तक लगी हुई थी।


शिवमय हुई नगरी में गंगाघाट से बाबा दरबार तक आस्था एकाकार नजर आ रहा है । केशरिया वस्त्र धारी बाबा के भक्त कांवड़ियों का उत्साह दखते ही बन रहा है। धाम और मंदिर परिक्षेत्र के बाहर भी पुलिस अफसर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद बनाने के लिए लगातार चक्रमण कर रहे हैं।

चौथे सोमवार पर मैदागिन से गोदौलिया, सोनारपुरा चौराहे तक, गुरुबाग से रामापुरा, बेनियाबाग तिराहे तक, ब्राडवे तिराहा से सोनारपुरा होकर गोदौलिया तक, भेलूपुर से रामापुरा चौराहे तक पैदल छोड़ सभी वाहनों को प्रतिबंधित किया गया है।

श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे सामाजिक संगठन

चौथे सोमवार पर दरबार में कतारबद्ध कावरियों और शिवभक्तों की सेवा में सामाजिक संगठनों, नागरिक सुरक्षा संगठन के साथ सपा भाजपा के कार्यकर्ता जगह-जगह शिविर लगाये हुए हैं। चौथे सोमवार को नगर के अन्य प्रमुख शिवालयों ओंकारेश्वर महादेव, महामृत्युजंय, शूलटंकेश्वर महादेव, तिलभाण्डेश्वर महादेव, गौरी केदारेश्वर , त्रिलोचन महादेव, रामेश्वर महादेव, कर्मदेश्वर महादेव, सारंगनाथ, गौतमेश्वर महादेव, जागेश्वर महादेव सहित सभी छोटे बड़े शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है।




गंगा में जलस्तर के बढ़ाव को देख दशाश्वमेधघाट पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। काशी विश्वनाथ धाम में तीन प्रवेश मार्गों को बंद किया गया है। दशाश्वमेध घाट सहित सभी प्रमुख गंगा घाटों की ओर जाने वाले मार्गों पर पुलिस मुस्तैद है। श्रद्धालुओं को लाउड हेलर से आगाह किया जा रहा है कि वह गंगा में स्नान के दौरान सजग रहें। नौकायन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।

गंगा में जल पुलिस और एनडीआरएफ की 11वीं वाहिनी के जवान गश्त कर रहे है। उधर, चौबेपुर कैथी स्थित मार्कंडेय महादेव धाम में श्रावण माह के चौथे सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अटूट कतार लगी हुई है। रविवार शाम से ही श्रद्धालु दरबार में पहुंच गये थे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुगम दर्शन के लिए जिला प्रशासन ने जगह-जगह बैरिकेडिंग की है। धाम से तीन किलोमीटर पहले कैथी तिराहे पर ही सभी प्रकार के वाहन रोक दिए जा रहे है। श्रद्धालु गंगा-गोमती संगम में डुबकी लगाने के बाद मार्कंडेय महादेव धाम दर्शन-पूजन व जलाभिषेक करने पहुंच रहे हैं

चौथे सोमवार को खास ब्रम्ह और शुक्ल योग

सावन के चौथे सोमवार को इस बार खास दो संयोग ब्रह्म मुहूर्त और शुक्ल योग है। शुक्ल योग शाम 04:26 बजे तक रहेगा। इसके बाद ब्रह्म योग की शुरुआत होगी, जो अगले दिन मंगलवार शाम तक रहेगा। यह दोनों ही योग किसी भी काम के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं। इसके साथ ही चित्रा और स्वाती नक्षत्र का संयोग है। ज्योतिषविदों के अनुसार शुक्ल योग में भगवान के पूजन से जातक को विशेष लाभ मिलते हैं। इससे जातक को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं, ब्रह्म योग में शिव की आराधना से जातक को ज्ञान की प्राप्ति होती है।