जिन्ना प्रेम दिखाने वालों को इतिहास पढ़ना चाहिए: रीता बहुगुणा जोशी

जिन्ना प्रेम दिखाने वालों को इतिहास पढ़ना चाहिए: रीता बहुगुणा जोशी

जिन्ना प्रेम दिखाने वालों को इतिहास पढ़ना चाहिए: रीता बहुगुणा जोशी

वाराणसी,13 नवम्बर । भाजपा सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने शनिवार को कांग्रेस नेता राशिद अल्वी के विवादित बयान पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है और संवेदनहीन है। किसी भी धर्म या धर्मावलंबियों पर कुठाराघात करना हमारे लोकतंत्र में अनुमन्य नहीं है। राशिद अल्वी ने यह बात कैसे कही, मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा था कि इन दिनों जय श्रीराम बोलने वाले कुछ लोग संत नहीं है, बल्कि राक्षस हैं। इस बयान से पहले राशिद अल्वी ने रामायण के उस प्रसंग का जिक्र किया,संजीवनी बूटी लेने के लिए महावीर हनुमान हिमालय जा रहे थे और संत के वेष में एक राक्षस ने उन्हें रोकने का मायाजाल रचा था। इस बयान पर डॉ. रीता ने प्रतिक्रिया दी।

बड़ालालपुर स्थित पंडित दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल सभागार में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में भाग लेने आई सांसद मीडिया कर्मियों से बातचीत कर रही थी। डॉ. रीता बहुगुणा ने कहा कि विपक्ष जाति और धर्म के आधार पर ही चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहा है, जो हो नहीं पाएगा। भाजपा चुनावी मैदान में विकास के मुद्दे को लेकर उतर रही है। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है तो उसकी भी चर्चा करेंगे लेकिन मूल विकास की ही बात करेंगे।

रीता बहुगुणा जोशी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि इन्होंने करिश्मे किए हैं ,वह हमारे मुख्य आधार हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पूरा विपक्ष इस समय बौखलाया हुआ है और वह यह सोच रहा है कि कैसे किस जाति और समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करें। विरोधी दलों के जिन्ना प्रेम पर तंज कसते हुए कहा कि जिस इंसान ने देश के बंटवारा करवाया और जिसकी वजह से 20,000 से ज्यादा लोगों की हत्याएं हुईं और ऐसे व्यक्ति को कोई कहे कि उन्होंने आजादी दिलाई तो मुझे लगता है कि उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए।

हिन्दी राजभाषा से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने निरंतर संविधान के अनुसार राजभाषा के संवर्धन के लिए कार्य कर रही है। हमारे नियमित कामकाज में सौ फीसद इसका पालन हो, इसका निरंतर प्रयास हो रहा है। हिंदी के लिए भविष्य में और क्या करने की आवश्यकता है,इसके लिए राजभाषा सम्मेलन का आयोजन हो रहा है।