गाजियाबाद, 18 जून। जिले की धरती का श्रृंगार आठ लाख पौधे लगाकर किया जाएगा। जिसकी तैयारी में जिला प्रशासन व अन्य सरकारी विभाग जुटे हुए हैं। वृहद स्तर पर चलने वाले पौधरोपण अभियान में गाजियाबाद नगर निगम और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की सबसे ज्यादा भागीदारी होगी। जीडीए को शासन ने एक लाख 30 हजार पौधे रोपने का लक्ष्य दिया है लेकिन जीडीए के पास इस समय 80 हजार पौधे लगाने की ही जगह उपलब्ध है।
जीडीए सचिव संतोष कुमार राय ने बताया कि औषधीय, फलदार और छायादार पौधे लगाने का निर्णय लिया गया है। पौधे मधुबन बापूधाम योजना, इंद्रप्रस्थ, कोयल एंक्लेव, राजनगर एक्सटेंशन व सिटी फारेस्ट में लगाए जाएंगे। सामाजिक संगठनों, स्कूलों और गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग इसमें लिया जाएगा।
सचिव ने बताया कि पौधरोपण के साथ-साथ उनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। गाजियाबाद नगर निगम ने पौधरोपण के लिए लीक से हटकर योजना बनाई है। शासन ने उसे 97 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य दिया है, लेकिन नगर निगम प्रशासन में डेढ़ लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित कर शासन को पूरा प्लान भेज दिया है।
नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि महानगर में छोटे-छोटे जंगल विकसित करने की योजना है। ताकि शहर प्रदूषण मुक्त रहे और प्राण वायु की भी कोई कमी ना रहे। उन्होंने बताया कि जापान की मियावाकी तकनीकि पद्धति के आधार पर छोटे-छोटे स्तर पर हरे-भरे पेड़ों से भरे जंगल विकसित किये जायेंगे। शहर की तमाम हरी पट्टी और डिवाइडर के आसपास इन जंगलों को विकसित करने की योजना है।
इन प्रस्तावित जंगलों में ही मियावाकी पद्धति के तहत लगभग 45 हजार पौधे लगाने की योजना है। मियावाकी एक जापानी पौधरोपण तकनीक है जिसका ईजाद अकीरा मियावाकी नामक पर्यावरण विशेषज्ञ ने किया था। इस पद्धति के तहत शहर के डिवाइडर व हरित पट्टी के बीच जंगल विकसित किए जाते हैं। इस तकनीक के तहत पौधों का विकास अन्य पौधों के मुकाबले चार गुना ज्यादा होता है। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. स्मिता सिंह ने बताया कि 4000 का लक्ष्य दिया गया है। यह पौधे औद्योगिक क्षेत्र में लगाए जाएंगे।
जिला उद्यान विभाग को 32 हजार से ज्यादा का लक्ष्य दिया गया है। जिला उद्यान अधिकारी कुमारी निधि ने बताया कि विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है और जुलाई के प्रथम सप्ताह से पौधरोपण अभियान शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा जिला न्यायालय, स्थानीय निकाय, जिला उद्योग केंद्र, उत्तर प्रदेश विकास परिषद समेत अन्य सरकारी विभागों को अलग-अलग लक्ष्य दिया गया है।