गंगा किनारे 15 दिनों से चल रहा वेदाचार्यों का प्रशिक्षण हुआ पूरा
वैदिक मंत्रों के पाठ के साथ ही कम्प्यूटर भी सिखाएंगे वेदाचार्य
प्रयागराज, 31 मई । श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय में महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के तत्वावधान में 17 से 31 मई तक शुक्ल यजुर्वेद के आचार्यों के लिए पुनश्चर्या पाठ्यक्रम (रिफ्रेशर कोर्स) सम्पन्न हुआ। पूरे देश में उज्जैन के प्रतिष्ठान परिसर समेत 5 स्थानों पर यह रिफ्रेशर कोर्स कराया गया। प्रयागराज के सेंटर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में संचालित वेद पाठशालाओं के 60 वेदपाठी विद्वानों ने हिस्सा लिया।
यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरी वेद विद्यालय के प्राचार्य वेदमूर्ति ब्रजमोहन पाण्डेय ने देते हुए बताया कि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन वेद पारायण, संहिता पाठ, पद पाठ, विकृति पाठ, घन पाठ, नित्य विधि एवं ब्रह्मयज्ञ, वैदिक गणित सहित विभिन्न आधुनिक विषयों पर विशेषज्ञों के व्याख्यान, चर्चा, वेद छात्रों के लिए कम्प्यूटर अध्ययन की उपयोगिता आदि की जानकारी दी गई। अध्यापकों को नोट्स व आदर्श प्रश्नपत्रों के बारे में बताया गया और विद्यालय प्रबंधन व संचालन नियमों की जानकारी दी गई।
वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के सहायक निदेशक संजय श्रीवास्तव ने गूगल मीट के माध्यम से समापन सत्र को सम्बोधित किया। बताया कि सेवारत वेद शिक्षकों को नयी शिक्षण और अनुसंधान विधियों, अनुशासन, विद्यालय प्रबंधन, छात्रों के मनोविज्ञान से परिचित कराकर उनकी मदद करने को पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किया गया। इस समय पूरे देश में मौजूद वेद पाठशालाओं व शिक्षण संस्थानों में विभिन्न राज्यों के हजारों बच्चे वेद के साथ पूजा पाठ, यज्ञ अनुष्ठान, ज्योतिष, कर्मकांड और कम्प्यूटर को भी चलाना सीख रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने हाल ही में वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड का गठन किया है जो सीबीएसई के समकक्ष है। वर्तमान में आधिकारिक रूप से वेद पढ़ने वाले छात्रों की कुल संख्या करीब 8200 है। इस साल पूरे देश से करीब 1200 वेद छात्र स्कूली शिक्षा पूरी कर विश्वविद्यालय में प्रवेश लेंगे।
कार्यक्रम के संयोजक श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरी वेद विद्यालय के प्राचार्य वेदमूर्ति ब्रजमोहन पाण्डेय ने कहा कि हमारी परम्परा व आध्यात्मिकता तथा वर्तमान आधुनिकता के बीच समन्वय स्थापित करते हुए वैदिक ऋचाओं के भावों को आज के परिप्रेक्ष्य में सहज एवं सरल ढंग से प्रस्तुत किया गया। विगत 15 दिनों में संहिता पाठ, स्वर संचालन आदि की व्यावहारिक त्रुटियों को बारीकी से समझा कर दूर किया गया। उन्होंने कहा कि वेद सनातन धर्म का मुख्य आधार है और इसके संरक्षण व संवर्धन के लिए उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। वर्तमान सचिव प्रो. विरूपाक्ष वि. जड्डीपाल के नेतृत्व में प्रतिष्ठान ने नई ऊंचाइयों को हासिल किया है।
संस्कृत विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र ने वेदों में विज्ञान विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि वेद में विज्ञान के साथ-साथ सभी प्रकार का ज्ञान सूत्ररूप में विद्यमान है। बीएचयू के व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रो. भगवातशरण शुक्ल ने वेदांग, कल्प, छंद, निरुक्त विषय पर व्याख्यान दिया। सीएमपी डिग्री कॉलेज प्रयागराज के सहायक प्रोफेसर डॉ. महेश कुमार मौर्या ने बच्चों की मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का अध्ययन और प्रयोगात्मक विधियों पर व्याख्यान में प्रतिभागियों को बच्चों की मानसिक, व्यवहारिक व संज्ञानात्मक स्थितियों को समझने के उपयोगी टिप्स बताए गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर डॉ जय सिंह ने शिक्षा मनोविज्ञान व बाल विकास पर व्याख्यान दिया। इविवि संस्कृत विभाग के पूर्व प्रोफेसर राम किशोर शास्त्री ने संस्कृत साहित्य में वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला। वैदिक गणित व्याख्यान के तहत विशेषज्ञों ने बताया कि घंटों लगने वाली गणनाएं वैदिक गणित की मदद से कुछ ही मिनटों में संभव हो चुकी हैं। शोध के लिए वैदिक विज्ञान के उपयोग से वैज्ञानिक नवाचार और प्रौद्योगिकी अधिक सफल हो सकती है। “अथर्ववेद, जिसे ’जादुई सूत्रों’ का वेद भी कहा जाता है, ने गणित को सरल बनाया है।
कार्यक्रम का संयोजन ब्रजमोहन पांडेय और खिमलाल न्योपाने ने किया। वरिष्ठ आचार्य खिमलाल न्योपाने ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। प्रतिष्ठान की तरफ से राष्ट्रीय आदर्श वेद विद्यालय के पंडित राकेश शर्मा समन्वयक एवं वेद शाखा प्रशिक्षण राधेश्याम पाठक ने किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से जीवन उपाध्याय, गौरव जोशी, कृष्णकुमार मिश्र, शिवानंद द्विवेदी, अवनी सिंह, अंजनी कुमार सिंह, अवनी सिंह आदि ने योगदान दिया।