लौटी पिचकारी कारोबारियों के चेहरे पर मुस्कान, लोगों में दिखा होली का उत्साह
कोरोना के कारण पिछले दो सालों में मंदा रहा धंधा
होली पर दो साल बाद पिचकारी और रंग के व्यापारियों पर मुस्कान लौटी है। इस बार लोगों में होली को लेकर उत्साह दिख रहा है। खरीदारी भी खूब हो रही है। पीतल और स्टील की जगह प्लॉस्टिक की पिचकारियों ने ली। बच्चों को बंदूक और प्रेशर की पिचकारी भा रही है।
यहियागंज में पिचकारी और रंगों के कारोबारी अनूप मिश्रा बताते है दो साल बाद इस बार व्यापार हो रहा है। लोगों में होली का उत्साह भी दिखा। उन्होंने बताया कि पिछले सालों में कोरोना के कारण बिजनेस बहुत ही कम गया था।
स्टील और पीतल की पिचकारियों का चलन हुआ कम
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि अब स्टील और पीतल की पिचकारियों का चलन महंगी होने के कारण बहुत कम हो गया है। उनकी जगह प्लास्टिक की पिचकारियों ने ली है। एक बात और है कि अब बच्चे ही पिचकारियों से खेलते हैं। बड़े तो गुलाब-अबीर लगाकर ही काम चला लेते हैं। वह बताते हैं कि बच्चे बंदूक की डिजाइन, प्रेशर और बैग की बनावट वाली पिचकारियों ज्यादा पसंद करते है।
पटाखे वाले रंग बच्चे करते हैं पसंद
इसके अलावा अनूप बताते हैं कि रंग का प्रचलन भी कम हो गया है। अब पटाखों वाले रंग प्रचलन में आ गए है। उसमें माचिस जलाईए तो हवा में अनार, मेहताब की तरह गुलाल उड़ेगा। इसके अलावा तरह-तरह टोपिया भी चल रही है।
इंदिरा नगर के एक अन्य दुकानदार ने उन्होंने कि प्लास्टिक दो सौ से लेकर पांच सौ रूपए तक में है। एक प्रश्न पर उन्होंने बताया जब प्लास्टिकी पिचकारियां इतनी महंगी मिल रही तो स्टील की कितनी मंहगी मिलेगी। निशातगंज के दुकानदार आशु शुक्ला ने बताया कि पीतल की टंकी 1250 रूपए की है।