प्रतापगढ़ के एक दर्जन से अधिक साहित्यिक पुस्तकों के रचनाकार वरिष्ठ साहित्यकार मराल जी का निधन
प्रतापगढ़ के एक दर्जन से अधिक साहित्यिक पुस्तकों के रचनाकार वरिष्ठ साहित्यकार मराल जी का निधन
प्रतापगढ़, 17 जुलाई (हि.स.)। प्रतापगढ़ जिले में वरिष्ठ अधिवक्ता व ख्याति लब्ध साहित्यकार रहे 81 वर्षीय भानु प्रताप त्रिपाठी मराल का शनिवार को सुबह निधन हो गया। उनके निधन पर जिले के साहित्यकारों, अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीति से जुड़े लोगों ने संवेदना जताई है।
प्रतापगढ़ जिले के लालगंज तहसील अंतर्गत विकासखंड सांगीपुर के पूरे सेवकराम भोजपुर गांव में 10 नवम्बर 1940 को भानु प्रताप त्रिपाठी का जन्म हुआ था। साहित्यिक रुचि होने के कारण उन्हें उपनाम मराल दिया गया। जिले में वह मराल जी के नाम से प्रसिद्ध रहे। पिछले कई महीनों से वह अस्वस्थ चल रहे थे। शनिवार की सुबह उनका निधन हो गया।
मराल जी ने वर्ष 1976 में संजय खंड काव्य की रचना की थी। इसके उपरांत 1977 में उनकी लिखी पुस्तक दहेज, 1969 में अगुआ विवाह के भय भाय, 1982 में सपनों का भारत, 1984 में इंदिरा गांधी, 1987 में देश हमारा धरती अपनी, 1988 में संत तुलसीदास पुस्तक प्रकाशित हुई।
मराल जी ने वर्ष 1976 में संजय खंड काव्य की रचना की थी। इसके उपरांत 1977 में उनकी लिखी पुस्तक दहेज, 1969 में अगुआ विवाह के भय भाय, 1982 में सपनों का भारत, 1984 में इंदिरा गांधी, 1987 में देश हमारा धरती अपनी, 1988 में संत तुलसीदास पुस्तक प्रकाशित हुई।
वर्ष 1990 में उन्होंने भारत का जवाहर नाम से पुस्तक लिखी जो अप्रकाशित रह गई। इसके अलावा उन्होंने भारत के सपूत, रूपवती खंडकाव्य, भरत चरित्र, सृष्टि-वृष्टि, घुश्मेश्वर शतक, आखिरी किताब, प्रभा, दर्द के गीत, प्यार के गीत, मंथरा, भिखारी का बेटा, डायरी के पन्नों से पुस्तक की भी रचना की।
वर्ष 2020 में उनके जीवन की अंतिम दो कृतियां वनदेवी और मेरी जिंदगी का भी विमोचन किया गया। वर्ष 2020 में 28 सितंबर को साहित्यिक संस्था कविकुल द्वारा हिंदी पखवाड़े के दौरान सेनानी ट्रस्ट भवन में भानु प्रताप त्रिपाठी मराल का सम्मान किया गया था।
इस दौरान अखिल भारतीय चंद्र सेनानी स्मारक न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने भानु प्रताप त्रिपाठी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मानित किया था।
भानु प्रताप त्रिपाठी मराल प्रतापगढ़ में वकील परिषद के भी अध्यक्ष रहे। उनके निधन पर अखिल भारतीय चंद्र दत्त सेनानी स्मारक न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रकाश मिश्र सेनानी, धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुजदास, पूर्व सभासद संतोष दुबे, साहित्यकार श्याम शंकर शुक्ल श्याम, कविकुल साहित्यिक संस्था के अध्यक्ष परशुराम उपाध्याय सुमन, सूर्यकांत मिश्र निराला, अनिल प्रताप त्रिपाठी प्रवात, चिंतामणि पांडे, राज नारायण सिंह, डीपी इंसान, डॉ. संगम लाल त्रिपाठी, सुरेश नारायण दुबे, सुरेश संभव, डॉ. नीरज त्रिपाठी सहित अनेक लोगों ने गहरी संवेदना व्यक्त की हैं।