राज्यपाल ने रज्जू भैया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ मटके में जल भरकर किया

राज्यपाल ने जिला कारागार नैनी पहुंचकर महिला बंदियों व उनके बच्चों के साथ किया संवाद

राज्यपाल ने रज्जू भैया विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ मटके में जल भरकर किया

प्रयागराज, 25 सितम्बर । उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को प्रो0 राजेन्द्र सिंह ‘‘रज्जू भैया’’ विश्वविद्यालय में आयोजित छठे दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ जल संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मटके में जल भरकर किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की स्मारिका का विमोचन भी किया। कुलाधिपति ने सरायइनायत के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को स्कूल बैग एवं अन्य उपहार सामाग्री का वितरण किया तथा आगनबाड़ी केन्द्रों से आयीं हुई प्रतिनिधियों को खेल का सामान व आंगनबाड़ी किट प्रदान किया। दीक्षांत समारोह में कुल 161 छात्र-छात्राओं को पदक तथा कुल 1,42,482 छात्रों को उपाधि दी गयी।


इस अवसर पर राज्यपाल ने सभी पदक व उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं दी। कहा, इस दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं का प्रतिशत अधिक है। उन्होंने विश्वविद्यालय में विद्यार्थिंयों की संख्या बढ़ने पर खुशी जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अगले 10 वर्ष में रोजगार परक विषय क्या हो, कैसे पढ़ाया जाये, जो नवजवानों को रोजगार प्राप्त करने में सहायक हो, इसकी तैयारी हमें आज से ही करनी होगी। आज के भारत में विदेशों से कई कम्पनियां भारत में निवेश कर रही है तथा बड़े-बड़े उद्योग लगा रही है। उत्तर प्रदेश में कई डिफेंस कॉरिडोर बनने की तैयारी हो रही है, इसलिए हमारा दायित्व बनता है, हम ऐसे कोर्स शुरू करें, जिससे कि आने वाले समय में बच्चों को वहां पर रोजगार मिलने में कठिनाई न हो।







उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितम्बर से 02 अक्टूबर तक सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत रक्तदान, अंगदान, आयुष्मान हेल्थ कार्ड सहित अन्य कार्य किए जा रहा हैं। इसमें विश्वविद्यालयों व कालेजों को भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी को दूसरे की जिंदगी को बचाने के लिए आगे आना होगा, इसलिए अंगदान जो सबसे पुनीत कार्य है, उसके लिए हमें लोगो को जागरूक करना होगा। लोग अपनी मानसिकता बदले और दूसरों को भी अंगदान करने के लिए प्रेरित करें।







आनंदीबेन पटेल ने कहा कि हमारे देश की नारी शक्ति को एक नई ऊर्जा देने वाला ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ गत दिवस राज्यसभा और लोकसभा से पूर्ण बहुमत से पास हो गया है। इससे देश की महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वैश्वीकरण का दौर है। शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है। परन्तु अभी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें हमें दक्षता हासिल करना है। उन्होंने कहा कि हमें सबसे ज्यादा काम रिसर्च को बढ़ावा देने में करना होगा। यह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।







इस अवसर पर अध्यक्ष, शासी निकाय, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार प्रो. प्रदीप कुमार जोशी ने कहा कि पवित्र त्रिवेणी संगम पर आना मेरे लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में स्थापित इस विश्वविद्यालय में इतने कम वर्षों में इतने कम वर्षों में ही कम्प्यूटर विज्ञान संकाय कृषि संकाय एवं विधि संकाय जैसे नूतन एवं रोजगारपरक संकायों को प्रारम्भ करते हुए विधिवत पठन-पाठन शुरू कर दिया गया है। तथा आगामी सत्र से शिक्षा संकाय, जीव विज्ञान संकाय, शारीरिक शिक्षा संकाय, अभियांत्रिक को प्रारम्भ करने की योजना अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।







राज्यमंत्री, उच्च शिक्षा विभाग, उप्र रजनी तिवारी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि जिन विद्यार्थिंयों को आज उपाधि प्राप्त हुई है, वे सार्थक रूप से राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। हाल ही में हुई जी-20 शिखर सम्मेलन उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा है। भारत के कुशल नेतृत्व में इस सम्मेलन ने बुलंदियों का नया आसमान छुआ। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने भी रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर विशेष ध्यान देने का संकल्प लिया हुआ है। नई शिक्षा नीति-2020 रोजगार परक है, जिसमें कौशल विकास से लेकर प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी ज्ञान को शामिल किया गया है। इस अवसर पर विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी, पीयूष रंजन निषाद, मण्डलायुक्त विजय विश्वास पंत, जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल, मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार सहित अन्य सम्बंधित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।







--राज्यपाल ने जिला कारागार नैनी पहुंच कर महिला बंदियों से की मुलाकात



इसके उपरांत राज्यपाल ने जिला कारागार नैनी पहुंचकर वहां पर महिला बंदियों से संवाद किया तथा महिला बंदियों के बच्चों से बात भी की। उन्होंने कहा कि जब आपकी सजा पूरी हो जाये, तो अपने बेटे-बेटियों को अच्छा संस्कार दें, जिससे समाज में वह अच्छे से अपना जीवन आगे बढ़ाये। ज्यादातर महिला बंदी दहेज उत्पीड़न से सम्बंधित प्रकरणों में निरूद्ध है। उन्होंने कहा कि हमें यह प्रण लेना चाहिए कि दहेज जैसी कुप्रथा को छोड़कर आगे बढ़े, न दहेज देंगे और न ही दहेज लेंगे। यहीं बात अपने बच्चों को भी समझायें। उन्होंने जेल प्रशासन के अधिकारियों से कहा कि जिन महिलाओं के बच्चे यहां पर है, उनकों खेलकूद, शिक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा बढ़ावा देने का प्रयास करें।