अध्यापिका का रिन्यूवल न करने का आदेश रद्द
अध्यापिका का रिन्यूवल न करने का आदेश रद्द
प्रयागराज, 15 जुलाई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीए के अंक पत्र में विश्वविद्यालय की ओर से की गई त्रुटि के आधार पर कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ा रही अध्यापिका का रिन्यूवल न करने का आदेश रद्द कर दिया है। विभाग को निर्देश दिया है कि अध्यापिका का पक्ष सुनकर नए सिरे से निर्णय लिया जाए। अर्चना त्यागी याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने दिया है।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित कस्तूरबा विद्यालय में वार्डन व हिन्दी की शिक्षिका है। उसकी नियुक्ति वर्ष 2004 में हुई थी। तब से वह लगातार पढ़ा रही है और समय समय पर उसका रिन्यूवल भी होता आया है। 23 दिसम्बर 20 को उसे नोटिस देकर कहा गया कि उसकी नियुक्ति बीए की फर्जी मार्कशीट के आधार पर हुई है। क्योंकि मार्कशीट में उसके कुल प्राप्तांक 621 हैं। जबकि मार्कशीट के अनुसार उसके प्राप्तांत 631 हैं। इस प्रकार से 10 अंकों की गड़बड़ी की गई है।
याची का कहना था कि उसके प्राप्त अंकों का योग लिखने में गलती की गई है। इसकी ओर उसका ध्यान नहीं गया था। जब पता चला तो उसने विश्वविद्यालय को इस बारे में अवगत कराया। विश्वविद्यालय ने अपनी गलती स्वीकार की है और नई संशोधित मार्कशीट भी जारी की है। इसमें याची की ओर से कोई गलती नहीं की गई है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय द्वारा गलती स्वीकार कर लेने से स्पष्ट है कि गलती याची की ओर से नहीं हुई। कोर्ट ने याची का रिन्यूवल नहीं करने का आदेश रद़्द करते हुए याची का पक्ष सुनकर नए सिरे से निर्णय लेने के लिए कहा है।