स्वामी विवेकानंद की जयंती सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में युवा दिवस के रूप में मनाई गयी
स्वामी विवेकानंद ने सम्पूर्ण जीवन शिक्षक की भांति राष्ट्र को समर्पित किया : प्रो. हरेराम त्रिपाठी
वाराणसी, 12 जनवरी । स्वामी विवेकानंद ने अपना सम्पूर्ण जीवन एक शिक्षक की भांति सम्पूर्ण राष्ट्र को निर्मित करने में लगाया। आज हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि आधुनिक शिक्षा किस दिशा में जा रही है। आज अच्छे मनुष्य का निर्माण करना बहुत कठिन हो गया है। यह उद्गार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी के हैं।
स्वामी विवेकानंद की जयंती महोत्सव पर गुरुवार को विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में आयोजित राष्ट्रीय युवा दिवस विचार गोष्ठी को प्रो. त्रिपाठी सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भारतीय भाषाओं का अध्ययन कर अपने सम्पूर्ण जीवन को गौरवशाली समाज की स्थापना करने के लिए समर्पित कर दिए। किसी भी देश की उन्नति की बागडोर युवाओं के हाथों मे होती है। युवा ही उस देश के भविष्य होते हैं। गोष्ठी में प्रो.दिनेश कुमार गर्ग ने कहा कि युग पुरुष, वेदान्त दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी एवं करोड़ों युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद का जन्म आज के दिन 1863 को कलकत्ता मे हुआ था। स्वामी विवेकानंद ने जन्म लेकर न केवल हिन्दू धर्म को अपना गौरव लौटाया। अपितु विश्व फलक पर भारतीय संस्कृति व सभ्यता का परचम भी फहराया। गोष्ठी में शिक्षा शास्त्र विभाग की आचार्य डॉ. विशाखा शुक्ला ने कहा कि स्वामी विवेकानंद सम्पूर्ण विश्व वांगमय मे भारत की पहचान हैं। युवाओं के प्रेरक हैं। इसके पहले गोष्ठी में कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने मां सरस्वती एवं स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण किया। राष्ट्रगान के बाद गोष्ठी शुरू हुई।