परम धर्म संसद में एक मंच पर आए तीन पीठों के शंकराचार्य, जारी किया धर्मादेश

परम धर्म संसद में एक मंच पर आए तीन पीठों के शंकराचार्य, जारी किया धर्मादेश

परम धर्म संसद में एक मंच पर आए तीन पीठों के शंकराचार्य, जारी किया धर्मादेश

महाकुंभनगर, 28 जनवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ में बुधवार को आयोजित परम धर्म संसद में तीन पीठ के शंकराचार्यों ने गौ माता को राष्ट्र माता बनाने के लिए एक मंच पर आकर धर्मादेश जारी किया। संगम लोवर मार्ग के सेक्टर 12 में गंगा सेवा अभियानम में आयोजितत परम धर्म संसद को संबोधित करते हुए द्वारका के शंकराचार्य स्वामी सदानंद ने कहा कि हम सब सनातन धर्मावलंबी है हम आत्मा को अजर-अमर मानते हैं। पूरे विश्व में जो भी दिखायी दे रहा है वो परमब्रह्म परमात्मा का विलास मात्र दिखायी पड़ता है। वेद संस्कृत भाषा में ही है इसलिए हमारी मूल भाषा संस्कृत है। जितना भी हमारा धार्मिक साहित्य है सब संस्कृत में है इसलिए संस्कृत भाषा का बहुत महत्व है।

श्रृंगेरी के शंकराचार्य विदुशेखर भारती ने कहा कि परमेश्वर के अवतार सनातन वैदिक धर्म के धारक परमपूज्य आदि गुरु शंकराचार्य ने लोकउद्धार के लिए एक विशिष्ट ग्रंथ प्रश्नुत्तरमल्लिका लिखी, जिसमें उन्होंने स्वयं प्रश्न करके उत्तर दिया। इस ग्रंथ में एक प्रश्न है माता कौन है इसका जवाब आदि शंकराचार्य ने लिखा धेनु: अर्थात् गौ माता। आदि शंकराचार्य जी ने अपनी मल्लिका में दिखाया है की गौ माता की क्या महिमा है? इसलिए गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करना चाहिए और गौ माता का विशेष रूप से रक्षा हो। जब तक गौ हत्या होती रहेगी हम इस देश में सुख-शांति से नहीं रह सकते। लोग पूछते हैं हमें गौ हत्या बंद करने का प्रयास कब तक करना है? इसका जवाब है हमें गौ हत्या को पूणर्तः प्रतिबंधित करने का प्रयास तब तक करना है जब तक गौ हत्या पूरी तरह बंद हो जाए और गौ माता राष्ट्र माता घोषित हो जाये। गाय के हर अंग में एक देवता है। गोमय में स्वयं लक्ष्मी माता विराजमान होती है। लोग अब संस्कृत भाषा को भूल गए है इसलिए हमे इस स्थिति को बदलना है सभी हिंदुओं को संस्कृत भाषा सीखनी चाहिए, प्रयोग में लानी चाहिए और इस भाषा के प्रति विशेष रूप से श्रद्धा रखनी चाहिए ।

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि शंकराचार्य की परंपरा अलौकिक है जो कभी समाप्त नहीं हो सकती। यहां तीन शंकराचार्य ब्रह्म, विष्णु,महेश के रूप में दिख रहें है और चौथे शंकराचार्य भी यहां विद्यमान है, लेकिन जैसे परमब्रह्म दिखता नहीं वैसे वो दिखायी नहीं दे रहे हैं। देवताओं की भाषा संस्कृत है इसलिए देवताओं से संवाद करने के लिए हमें संस्कृत भाषा आनी चाहिए। हमेशा से संस्कृत हमारी भाषा रही है। इस बार जब भाषा की जनगणना हो तो ८० करोड़ लोग बताए हमारी भाषा संस्कृत है। इससे सरकार को संस्कृत भाषा के लिए बजट देना होगा और संस्कृत भाषा के लिए महाविद्यालय बनाने होंगे, जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और हम फिर से अपनी भाषा की ओर जाएंगे।

द्वारका शारदा पीठ एवं ज्योतिष पीठ के ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद ने कहा हमें बहुत प्रसन्नता है की तीन पीठ के शंकराचार्य त्रिवेणी गंगा के तट पर एक साथ उपस्थित है। लोग एक शंकराचार्य के दर्शन के लिए तरसते हैं और आज यहां परमधर्मसंसद में उपस्थितं लोगों का परम सौभाग्य है कि एक साथ तीन शंकराचार्यों के दर्शन लाभ ले पा रहे हैं। हमे पूर्ण विश्वास है गौ हत्या अवश्य बंद होगी।