विकसित भारत के लिए रूल ऑफ ला जरूरी : न्यायमूर्ति सूर्यकांत

विकसित भारत के लिए रूल ऑफ ला जरूरी : न्यायमूर्ति सूर्यकांत

विकसित भारत के लिए रूल ऑफ ला जरूरी : न्यायमूर्ति सूर्यकांत

-अधिवक्ताओं के मेडिकल व जनरल इंश्योरेंस पर सकारात्मक निर्णय लेंगेः विधि मंत्री -कोलेजियम सिस्टम में सरकारी प्रतिनिधि हो शामिल : न्यायमूर्ति मित्तल

प्रयागराज, 04 जनवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सूर्यकांत ने विकसित भारत के लिए रूल ऑफ ला की गारंटी को जरूरी बताया है। शनिवार को यहां पंडित कन्हैयालाल लाल मिश्र मेमोरियल कमेटी द्वारा आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ज्युडीशियल सिस्टम को भी अस्पतालों के रूप में काम करना होगा। जैसे अस्पतालों में फस्ट एड के साथ इलाज की सुविधा होती है, वैसे ही न्यायपालिका काम करे। जजों की संख्या के साथ क्वालिटी का होना आवश्यक है। सबकी जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। इसके लिए बेंच और बार जब कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे तब संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा होगी तथा विकसित भारत का सपना साकार होगा। सभी को मिल-बैठ कर हल निकालना चाहिए।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, हमारी ड्यूटी राष्ट्र व समाज के प्रति होनी चाहिए। क्वालिटी जजेज की जरूरत हमेशा से रही है और इसके लिए सभी स्टेक होल्डर को सहभागिता करनी होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ने कहा कि थोड़े से बदलाव से आशानुरूप परिणाम निकल सकते हैं। उन्होंने हाईकोर्ट कोलेजियम को तीन की जगह पांच सदस्यीय बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा न्याय में देरी न्याय से इंकार है। जजों और मूलभूत सुविधाओं की कमी इसके आड़े आ रही। सिस्टम में छोटे सुधार की जरूरत है। ऐसे लोग नियुक्त हो जो संवैधानिक जिम्मेदारी निभा सके।

उन्होंने मजलूमों के हक के लिए जनहित याचिका का समर्थन किया किन्तु व्यर्थ की याचिका नहीं की जानी चाहिए। जिला अदालतों में भी सुधार कर आधार मजबूत किया जाय। उन्होंने कुछ सुझाव भी दिये।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वकीलों को सम्बोधित करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार वकीलों के मेडिकल व जनरल इंश्योरेंस की दिशा में गम्भीर है और आंकड़े मिलने के बाद सकारात्मक निर्णय लेगी। एडवोकेट एक्ट में भी अधिवक्ता सुरक्षा के लिए संशोधन किया जायेगा। उन्होंने कहा चंडीगढ़ में क्राइम एवं क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम काम कर रहा है। कहा मोदी सरकार देश को विकसित भारत के मिशन पर है। न्याय व्यवस्था की खामियों को भी दुरुस्त किया जायेगा। कानून मंत्री मेघवाल ने तीन बातों समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुत्व पर बल दिया और कहा इनके बिना हम संविधान की मंशा पूरी नहीं कर सकेंगे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने न्यायपालिका को किसी भी देश के लिए पावर हाउस बताया। कहा कि इसकी रोशनी मद्धिम नहीं पड़नी चाहिए। कहा देश में पांच करोड़ केस लम्बित है। प्रभावी सिस्टम रूल ऑफ ला ही नहीं, लोगों का भरोसा कायम करने के लिए जरूरी है। उन्होंने न्यायिक सुधार व प्रशिक्षण पर बल दिया।

देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश व राज्यसभा सदस्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने इलाहाबाद को कैपिटल ऑफ ज्युडीशियरी बताया। उन्होंने कानून मंत्री से हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पदों को भरने का आग्रह किया। कहा कि जज भी इंसान हैं। जजों की कमी को खत्म करने के लिए सभी को हल निकालना चाहिए।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और राज्य सभा सदस्य मनन मिश्र ने पंडित कन्हैयालाल मिश्र के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनसे जुड़े कई संस्मरण सुनाए। कहा उन्होंने अपनी योग्यता व बहस से न्यायिक जगत में अतुलनीय मुकाम हासिल किया है। हमे प्रेरणा लेनी चाहिए।

आयोजन कमेटी के अध्यक्ष मेघालय हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत किया और सभी का संक्षिप्त परिचय दिया और कहा मिडिएशन कंसेप्ट न्यायमूर्ति सूर्यकांत की देन है। स्व कन्हैयालाल मिश्र के सुपुत्र सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति एपी मिश्र ने कहा, जजों की कमी बड़ी समस्या है, खाली पदों को भरा जाय। उन्होंने अपने पिता के संस्मरण भी सुनाए।

ड्रमंड रोड स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट के सम्मेलन हाल में आयोजित इस संगोष्ठी का विषय था ‘न्यायिक प्रणाली के समक्ष वर्तमान समस्याओं के संदर्भ में न्यायिक सुधारों की आवश्यकता और गुंजाइश।’ वरिष्ठ अधिवक्ता व स्वागत समिति के प्रमुख एनसी राजवंशी ने अतिथियों के प्रति आभार जताया। संचालन कमेटी के सचिव व अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने किया।

आयोजन में अधिवक्ता भानु देव पांडेय, एस पी शुक्ल, जे बी सिंह, आर पी तिवारी, वी पी शुक्ल, मनोज निगम, आर के जायसवाल आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति एम के गुप्ता, न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र, न्यायमूर्ति गौतम चौधरी, न्यायमूर्ति वी के बिड़ला न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल, सहित तमाम न्यायाधीश, अपर सालिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह, डिप्टी सालिसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश सहित भारी संख्या में अधिवक्ता शामिल हुए।