प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर श्रीराम मंदिर में गूंजेगी देश भर के विभिन्न वाद्ययंत्रों की स्वर लहरी

कर्नाटक, मणिपुर, महाराष्ट्र और ओडिशा समेत कई राज्यों के वाद्ययत्रों का भी होगा प्रदर्शन

प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर श्रीराम मंदिर में गूंजेगी देश भर के विभिन्न वाद्ययंत्रों की स्वर लहरी

अयोध्या, 16 जनवरी । श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय का कहना है कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान देश भर के विभिन्न प्रदेशों के प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों का भी वादन होगा। इन स्वर लहरियों के बीच श्रीरामलला अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे।

चम्पत राय ने बताया कि भारतीय परंपरा के वादन में जितने प्रकार के वाद्ययंत्र हैं, सभी का मंदिर प्रांगण में वादन होगा। इनमें उत्तर प्रदेश का पखावज, बांसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्यप्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावणहत्था, बंगाल का श्रीखोल, सरोद, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम, तविल, मृदंग और उत्तराखंड का हुड़का, ऐसे वाद्ययंत्रों का वादन करने वाले अच्छे से अच्छे वादकों का चयन किया गया है। ये वादन ऐसे समय में चलेगा जब प्राण प्रतिष्ठा का मंत्रोच्चार और देश के नेतृत्व का उद्बोधन नहीं हो रहा होगा। बड़े महत्व की बात है कि ऐसे श्रेष्ठ लोग यहां स्वयं प्रेरणा से आ रहे हैं।


आमंत्रित लोगों को परिसर में मिलेंगी सुविधाएं

उन्होंने बताया कि सारे परिसर की सज्जा की जाएगी। रात को आप लोग परिसर की अलग ही आभा देख पाएंगे। उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद अंदर परिसर में बैठे हुए संत महापुरुष, आमंत्रित विशिष्ट जन दर्शन करने के लिए अंदर जाएंगे। प्रातः काल 10 से 10.30 बजे तक सभी को प्रवेश करना होगा। इस दौरान उनके अल्पाहार और भोजन की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि विश्व हिंदु परिषद और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की भी तिथियां निर्धारित की गई हैं। ये कार्यकर्ता उन्हीं तिथियों के आधार पर अयोध्या आएंगे। सामान्यतः प्रतिदिन साढ़े चार हजार से 5 हजार तक कार्यकर्ता एक दिन रुकेंगे और वापस जाएंगे। ये योजना फरवरी के अंत तक ही चलेगी। जिन लोगों को निमंत्रित किया गया है उनके ठहरने की व्यवस्था कारसेवक पुरम, मणिरामदास छावनी का प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र और मणिपर्वत के बगल में तीर्थपुरम क्षेत्र में की गई है। कुछ आश्रमों, धर्मशालाओं, व्यक्तिगत होमस्टे, होटल में भी कमरे लिए गए हैं।







50 देशों से आ रहे 53 प्रतिनिधि



चम्पत राय ने बताया कि हमने दुनिया के 50 देशों से एक-एक व्यक्ति को श्रीरामलला के दर्शन के लिए आमंत्रित किया है। एक देश एक रिप्रजेंटेटिव के आधार पर ऐसे 50 देशों के 53 लोग भी आ रहे हैं। प्रयास रहेगा कि जो व्यक्ति जिस दिन आ गया उसी दिन वो वापस जा सके। रात को रहने का दबाव उस पर न पड़े। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी को सभी गृहस्थों के और संतों के दर्शन के पश्चात हम मीडिया को एंट्री देने पर विचार कर रहे हैं।



उन्होंने बताया कि 22 के बाद 23 जनवरी से जो भी अयोध्या आएगा, उसे श्रीरामलला के दर्शन मिलेंगे। उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान परिसर के अंदर यज्ञशाला में बने 9 कुंडों में देश भर की 120 वैदिक प्रक्रियाएं संपन्न होंगी।