प्रदेश में पावर ऑफ अटार्नी पंजीकरण पर रोक नहीं
प्रदेश के बाहर की सम्पत्ति के बोगस ट्रांजेक्शन की जांच कर रही एसआईटी को चार माह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
प्रयागराज, 22 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर में जनरल पावर आफ अटार्नी पंजीकृत करने पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पावर ऑफ अटार्नी के जरिए सम्पत्ति बेचने को वैध करार दिया है। इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
कोर्ट ने गाजियाबाद में पावर ऑफ अटार्नी से फर्जी ट्रांजेक्शन के जरिए प्रदेश के बाहर की भारी संख्या में सम्पत्तियां बेचकर सरकार को स्टैम्प शुल्क का नुक़सान करने के मामले की जांच कर रही एस आई टी को चार माह में जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने तहसील बार एसोसिएशन गांधी नगर गाजियाबाद व सोसायटी फार वायस आफ ह्यूमन राइट्स एण्ड जस्टिस की तरफ से दाखिल याचिकाओं को खारिज करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा याचिका जनहित को लेकर दाखिल नहीं की गई है। कोई भी पीड़ित व्यक्ति कोर्ट में नहीं आया है। आईजी पंजीकरण उप्र ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रदेश में कुल 92,520 पावर आफ अटार्नी पंजीकृत हुई है। जिसमें से 53,013 पावर आफ अटार्नी गाजियाबाद व 10374 पावर आफ अटार्नी गौतमबुद्धनगर की है। तहसील सदर गाजियाबाद की 29,425 पावर आफ अटार्नी से प्रदेश के बाहर दूसरे प्रदेशों की सम्पत्तियां बेची गई है। इससे राज्य को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा है और प्रदेश में विवाद उठे हैं।
कोर्ट ने कहा सरकार ने स्वयं ही कहा कि पावर आफ अटार्नी पंजीकृत करने पर रोक नहीं है। बोगस ट्रांजेक्शन पर नियंत्रण के लिए एस आई टी जांच की जा रही है। कोर्ट ने याचिकाएं खारिज कर दी है।