“संगठनों की भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में भूमिका“ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

शिक्षा, जागरूकता, सम्प्रेषण व बौद्धिक गुण से नेतृत्व विकसित : प्रो एके सिंह

“संगठनों की भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में भूमिका“ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्रयागराज, 14 जुलाई । रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.के सिंह ने कहा कि शिक्षा, जागरूकता, सम्प्रेषण और बौद्धिक गुण से नेतृत्व विकसित होता है। जो किसी बड़े आन्दोलन का आधार बनता है। इस सुप्तावस्था के आन्दोलन से ही सक्रिय आन्दोलन का जन्म होता है और उसी के माध्यम से ही अन्ततः स्वतंत्रता और मुक्ति की राह निकलती है।

उक्त विचार शुक्रवार को राजनीति शास्त्र विभाग, यूइंग क्रिश्चियन महाविद्यालय और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंसेज रिसर्च, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में “विभिन्न संगठनों-संस्थाओं की भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में भूमिका“ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो. ए.के सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।

मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आर.के मिश्र ने औपनिवेशिक मानसिक दासता को आज के लिए सबसे चिंतनीय बताते हुए स्वाधीनता आंदोलनों में प्रयुक्त विभिन्न पद्धतियों पर अपनी बात रखी। उन्होंने विभिन्न संगठनों और उससे जुड़े महान स्वतंत्रता सेनानियों की भारत को उपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलाने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।

डॉ मिश्र ने वर्तमान में इन आंदोलनों से सम्बंधित मूल्यों की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया। दीनदयाल उपाध्याय पीठ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. मधुरेंद्र ने स्वतंत्रता संघर्ष के आंदोलनों में सक्रिय विभिन्न संगठनों की अकादमियों में की जा रही विभिन्न व्याख्याओं को नये सिरे से देखने पर जोर दिया।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डीन कालेज डेवलपमेंट और राजनीतिशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. पंकज कुमार ने स्वतंत्रता आंदोलन से सम्बंधित मूल्यों को सहेजने की आवश्यकता पर जोर दिया। जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्राचार्या और संगोष्ठी की समन्वयक प्रो. आशिमा घोष ने संगोष्ठी की विषयवस्तु और रूपरेखा रखी। यूइंग क्रिश्चियन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर ए.एस मोसेज ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ सोनाली चतुर्वेदी ने एवं महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष और ऑक्टा अध्यक्ष डॉ उमेश प्रताप सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।