पढ़ाई के साथ टीबी मरीजों की मदद कर रहे कुंदन
टीबी मरीजों को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाना प्राथमिकता
प्रयागराज, 18 अप्रैल । बस्ती जिले के रहने वाले 28 वर्षीय कुंदन, जो नौकरी के लिए प्रवेश परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ भविष्य में शिक्षण संस्थान (कोचिंग) खोलने का सपना लिए प्रयागराज आये थे। यहां आकर टीबी जैसी बीमारी का शिकार हो गए। अब स्वस्थ होकर दूसरों को इस रोग के प्रति जागरूक करने की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं।
कुंदन बताते हैं कि वर्ल्ड विजन संस्था से जुड़कर अक्टूबर 2022 से टीबी चैंपियन के रूप में काम कर रहे हैं। अब तक लगभग 400 लोगों को काउंसलिंग के माध्यम से इलाज में मदद पहुंचा कर भ्रांतियों के प्रति जागरूक कर चुके हैं। इसके साथ ही कई टीबी मरीजों को सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ दिलाने में भी सहयोग कर रहे हैं, जिससे वह सक्षम बन सकें।
कुंदन बताते हैं, वह एक सम्पन्न परिवार से हैं और जुलाई 2021 में प्रयागराज आए थे। अक्टूबर माह से उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। स्वरूपरानी अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट को दिखाया, जिन्होंने अल्ट्रासाउंड कराने पर पेट में पानी भरने की बात कही। जांच रिपोर्ट में पता चला कि मुझे आंतों की टीबी है। कुंदन ने बताया मन में एक भय हो गया। मैंने ठान लिया था कि अपना सपना पूरा किये बिना घर वापस नहीं जाऊंगा। डॉक्टर ने बताया कि आँतों की टीबी का संक्रमण फैलता नही हैं, इलाज का कोर्स छह से नौ महीने लगातार करने से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। हॉस्टल में अपने सभी काम और पढ़ाई करते हुए छह महीने तक टीबी का पूरा इलाज लिया। खाने-पीने का विशेष ध्यान रखा जिससे अब मैं पूरी तरह से ठीक हो गया हूं।
कुंदन बताते हैं, अगर किसी को टीबी है तो वह भी मेरी तरह ठीक हो सकता है। ज़रूरी है नियमित रूप से दवाई और पौष्टिक खानपान का सेवन करना। टीबी का पूरा इलाज सरकारी अस्पताल में संभव है। मैंने भी सरकारी अस्पताल से पंजीकरण कराकर टीबी की दवा ली और निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान प्रतिमाह मिले 500 रुपये से पोषण आहार भी लिया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अरुण कुमार तिवारी का कहना है अक्सर लोग काम काज और पढ़ाई के सिलसिले में घर से दूर दूसरे शहर जाते हैं और इस कारण उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इससे अक्सर वह अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पाते और संक्रमण या बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं। टीबी की पुष्टि वाले मरीजों को सरकार नजदीकी डॉट्स सेंटर से दवा से लेकर आर्थिक सहयोग तक की सुविधा दे रही है। यदि प्रवासी एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं तो इलाज बंद करने की ज़रुरत नहीं है। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर से संपर्क कर इलाज दूसरे शहर में रेफर करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले में 12 टीबी चैम्पियन काम कर रहे हैं, जोकि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग कर रहे है।
चैम्पियन के सहयोग से बढ़ रहा मरीजों का भरोसाः लाभार्थी सनोज कुमार (बदला हुआ नाम) निवासी अमोलवा खुर्द देवली प्रतापपुर चाट फुल्की का ठेला लगाते थे। उन्होंने बताया कि जब मुझे बीमारी की खबर हुई तो मैं बिलकुल टूट गया था। परेशान था कि अब मैं ठीक हो पाऊंगा की नहीं। इलाज कैसे होगा लेकिन मेरी समस्याओं के जवाब में कुंदन भैया टीबी चैंपियन का साथ मिला। उन्होंने हर समय मेरी मदद की और मेरे सवालों के जवाब दिए अब मैं खुद को काफी मजबूत समझता हूं।