आजाद पार्क में बने सभी अवैध निर्माण दो दिन में गिराकर कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश
आजाद पार्क में बने सभी अवैध निर्माण दो दिन में गिराकर कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश
प्रयागराज, 05 अक्टूबर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज कोर्ट में हाजिर प्रयागराज के सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वर्ष 1975 से पहले के निर्माण को छोड़कर आजाद पार्क (कम्पनी गार्डेन) में बने सभी अवैध निर्माण को दो दिन में गिराकर कोर्ट में 8 अक्टूबर को अनुपालन हलफनामा दाखिल करे।
कोर्ट ने पुनः इस जनहित याचिका पर शुक्रवार 8 अक्टूबर को सुनवाई करने का निर्देश दिया है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लीज लैड पर वर्ष 1975 से पूर्व बने निर्माण को छोड़कर शेष सभी अवैध है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के प्राण कहे जाने वाले आजाद पार्क में बने कई सरकारी व गैर-सरकारी निर्माणों को लेकर पत्रजातों समेत शहर के सभी सम्बंधित प्रशासनिक अधिकारियों को तलब किया था।
आजाद पार्क से अतिक्रमण हटाने को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एक्टिग चीफ जस्टिस एम.एन भंडारी व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रयागराज के आयुक्त, डीएम, एसएसपी, प्राधिकरण के वीसी, नगरायुक्त, राजकीय उद्यान अधीक्षक व उप निदेशक वानिकी विभाग प्रयागराज को केस की सुनवाई के दौरान रिकार्ड के साथ प्रस्तुत रहने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 1975 के बाद बने सभी निर्माणों को अवैध करार देते हुए उसे हटाने का निर्देश दिया, परन्तु इसके बावजूद वहां धड़ल्ले से कई अवैध निर्माण होते गए। इन निर्माणों में गैर सरकारी निर्माण के अलावा सरकारी निर्माण भी है। कोर्ट ने कहा कि 1975 के बाद बने निर्माणों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आजाद पार्क में बने रहने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
मालूम हो कि पिछली तारीख पर हाईकोर्ट ने आजाद पार्क से अतिक्रमण हटाने को लेकर अधिकारियों द्वारा जवाबदेही से बचने व अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर नाराजगी जाहिर की थी और तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि जब भी कोर्ट कोई सवाल पूछती है तो सवाल का सही जवाब न देकर कागजात पेश करने का कोर्ट से समय की मांग की जाती है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम.एन भंडारी व जस्टिस पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र सिंह विशेन व अन्य की याचिका पर दिया है।