इलाहाबाद कोर्ट परिसर में हुई वकील की हत्या में दरोगा को आजीवन कारावास
रायबरेली सत्र न्यायालय ने सात साल बाद सुनाया फ़ैसला
इलाहाबाद सिविल कोर्ट परिसर में वकील हत्याकांड में शुक्रवार को सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।सत्र न्यायाधीश अब्दुल शाहिद ने दरोगा शैलेंद्र सिंह को हत्या के आरोप में दोषी करार देते हुए उसे उम्रकैद और बीस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। वहीं आपराधिक षडयंत्र के आरोप में शैलेंद्र सिंह व सहआरोपी राशिद सिद्दीकी को दोषमुक्त कर दिया।
सात साल पहले प्रदेश भर में चर्चित इस कांड में 11 मार्च 2015 को इलाहाबाद की नारीबारी चौकी में तैनात दरोगा शैलेंद्र सिंह से अधिवक्ता नबी अहमद को मामूली कहासुनी के बाद गोली मार दी थी, जिससे अधिवक्ता की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद हुए बवाल में ममफोर्डगंज पुलिस चौकी के सिपाही अजय नागर को भी गोली लगी थी। मृतक अधिवक्ता नबी अहमद के पिता ने कर्नलगंज थाने में मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस मामले में गुरुवार को दोष सिद्ध करते हुए जिला जज अब्दुल वाहिद ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए जिला जज ने दरोगा को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए इस पर बीस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।
गौरतलब है कि अहमद के पिता शाहिद सिद्दीकी ने दारोगा शैलेंद्र सिंह और राशिद सिद्दीकी पर कर्नलगंज थाने में हत्या का केस दर्ज कराया था। इस वारदात के बाद दाराेगा शैलेंद्र को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। इलाहाबाद की कचेहरी में वकीलों का भारी विरोध होने के कारण हाईकोर्ट के विशेष आदेश पर केस जून 2015 में रायबरेली कचेहरी स्थानांतरित कर दिया।रायबरेली में करीब सात वर्षों से जनपद एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में इस केस की सुनवाई चल रही थी।