हाईकोर्ट ने सिपाही भर्ती में रिक्त पदों का डीआईजी स्थापना से मांगा रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने सिपाही भर्ती में रिक्त पदों का डीआईजी स्थापना से मांगा रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने सिपाही भर्ती में रिक्त पदों का डीआईजी स्थापना से मांगा रिपोर्ट

प्रयागराज, 02 जुलाई । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज दाखिल एक विशेष अपील सुनवाई करते हुए डीआईजी स्थापना, पुलिस मुख्यालय से पूछा है कि वह बताए कि 2015 की पुलिस कान्सटेबिल भर्ती में कितने पद कान्सटेबिल सिविल पुलिस व पीएसी के रिक्त रह गये।
अभ्यर्थियों ने यह विशेष अपील एकल जज के उस आदेश के खिलाफ दाखिल की है, जिसमें कट आफ मेरिट नीचे कर 2015 सिपाही भर्ती में रिक्त रह गये पदों पर नियुक्ति की मांग को एकल जज ने खारिज कर दिया था।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी व न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार (चतुर्थ) की खंडपीठ ने अजय प्रकाश मिश्र की विशेष अपील पर पारित किया है। अपीलार्थियों की तरफ से अधिवक्ता एच एन सिंह ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि नियमावली के अनुसार भर्ती की प्रक्रिया तब तक पूरी नहीं होती, जब तक कि मेडिकल परीक्षण व आचरण आदि का परीक्षण नहीं हो जाता। कहा गया कि इस दौरान यदि किसी की अयोग्यता के कारण पद रिक्त रह जाता है तो उन पदों को अन्य बच्चे अभ्यर्थियों से भरा जाना चाहिए। 

प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानन्द पाण्डेय ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि एकल जज के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। कहा गया कि रूल 15 में कट आफ मेरिट की बात कही गई है। नियमावली में वेट लिस्ट बनाने का कोई प्रावधान नहीं है। बताया गया कि भर्ती बोर्ड ने भर्ती प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति के लिए नियुक्ति अधिकारी को भेज दिया है। ऐसे में नियमावली में किसी प्रकार का प्रावधान न होने के कारण अपीलार्थियों को नियुक्त नहीं किया जा सकता है। 

कहा यह भी गया कि 2015 के रिक्त पदों को  अगली भर्ती में कैरी फारवर्ड भी कर दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि तब तो याचिकाकर्ताओं का कोई केस नहीं बनता। परन्तु अपीलार्थियों के अधिवक्ता ने कहा कि 2015 भर्ती 2019 में फाइनल हुईं है। जबकि पिछला भर्ती 2018 की है, ऐसे में यह कहना गलत है कि वैकेन्सी कैरी फारवर्ड होकर भरी जा चुकी है। इस पर कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से सही तथ्य सामने रखने को कहा है। कोर्ट इस अपील पर 19 जुलाई को फिर सुनवाई करेगी।

मालूम हो कि जस्टिस एम सी त्रिपाठी ने नियमावली का आदेश में उल्लेख कर याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि कट ऑफ मेरिट नीचे कर 2015 की भर्ती में नियुक्ति का आदेश नहीं दिया जा सकता है। इस आदेश को अपील में चुनौती दी गई है।