धार्मिक स्थलों की पहचान दिलाने में साधु संतों का बहुत बड़ा योगदान : मंडलायुक्त

राम वन गमन मार्ग पर साधु संतों की अगुवाई में यात्रा 26 को

धार्मिक स्थलों की पहचान दिलाने में साधु संतों का बहुत बड़ा योगदान : मंडलायुक्त

प्रयागराज, 25 अक्टूबर । विद्वत परिषद प्रयागराज द्वारा हिंदुस्तानी एकेडमी में भगवान राम और महर्षि विषय पर विद्वत गोष्ठी कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा कि प्रयागराज में विभिन्न धार्मिक स्थलों की पहचान दिलाने में साधु संतों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

मंडलायुक्त ने कहा कि पौराणिक स्थलों का विस्तार एवं सौंदर्यीकरण पर कहा कि कुंभ के पहले प्रयागराज में दिव्यता और भव्यता धरोहर के रूप में स्थापित होंगे। प्रयागराज को तीर्थ क्षेत्र घोषित करने प्रयागराज विद्वत परिषद की पांच मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और अमल में लाने की बात भी कहीं। सुजावनदेव से लेकर ऋषियन तक सभी पौराणिक स्थलों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी प्रधानों को प्रदान की जाएगी।

पूर्व कुलपति प्रो. के.बी पाण्डेय ने कहा कि सीता राम का जीवन व चरित्र एकदम आईना की तरह सर्व समाज में व्याप्त है। न्यायमूर्ति सुधीर नारायण ने कहा कि महर्षि भारद्वाज शिक्षा पद्धति के प्रथम कुलपति थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कारित जीवन का ज्ञान कराया है। सर्वसमाज के पथ प्रदर्शक रहे हैं। श्रीराम स्मृति वन गमन यात्रा साधु संतों की अगुवाई में एक नया अध्याय लिखेगा। स्वामी हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि इस मार्ग पर यह यात्रा आने वाले समय में लोगों का पथ प्रदर्शन करेगी। बैकुंठ धाम के महंत श्रीधराचार्य ने कहा कि प्रयागराज क्षेत्र का विकास धर्म क्षेत्र के रूप में होना चाहिए, भगवान राम ने प्रयागराज आकर ही वनवास शुरू किया। महंत यमुनापुरी ने कहा कि युगों की धाराएं कितनी बीत चुकी हैं। यह कलयुग का प्रथम चरण है। अपने बड़ों की सेवा करने से आयु, विद्या और बल में बढ़ोत्तरी होती है। आज राम वनगमन मार्ग पर भगवान श्रीराम स्मृति की यात्रा ऐतिहासिक होगी।

यात्रा प्रमुख लालजी शुक्ल ने कहा कि संतों को भगवान कहा गया है। आज संतों का समाज में उन्नति के लिए हमेशा आशीर्वाद चाहिए। उन्हीं के बताए मार्गों पर हम सब को चलना चाहिए। संत का सम्मान ही राष्ट्रवाद को मजबूत करता है। इस मौके पर स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी टीकरमाफी, जगद्गुरु रामानुजाचार्य, श्रीधराचार्य, महंत यमुनापुरी महाराज महानिवाड़ी अखाड़ा, फलाहारी बाबा और कौशल्यानंद गिरी ने भी अपने विचार रखें।

विद्वत गोष्ठी में श्रीराम स्मृति वन गमन यात्रा में स्थानीय समिति के सदस्यों को प्रशस्ति पत्र और पट्टा पहनाकर सम्मानित किया गया। स्वामी वासुदेवानंद शंकराचार्य ने अचानक स्वास्थ्य खराब होने पर आडियो के जरिए संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन वीरेंद्र पाठक ने किया। उन्होंने बताया कि 26 अक्टूबर को राम वन गमन मार्ग पर साधु संतों की अगुवाई में प्रातः 7 बजे महर्षि भरद्वाज की प्रतिमा से यात्रा होगी। जो घूरपुर, सुजावनदेव, मसुरियन माई, मनकामेश्वर लालापुर से होकर ऋषियन से चित्रकूट कामदगिरी मुखारबिंद तक चलेगी।