अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका तीज का निराजल व्रत रखा

मंगला गौरी के चौखट पर टेका मत्था

अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका तीज का निराजल व्रत रखा

काशीपुराधिपति की नगरी में मंगलवार को पति के दीर्घ जीवन, अखंड सुहाग की कामना को लेकर सुहागिन महिलाओं ने पूरे आस्था और उल्लास के साथ हरितालिका तीज का निराजल व्रत रखा है। भीषण उमस, बूंदाबांदी और बाढ़ के बावजूद महिलाओं ने भोर में स्नान ध्यान के बाद फेनी निगलकर व्रत का संकल्प लिया। हस्त नक्षत्र व शुभ योग के खास संयोग में पूरे दिन निराजल रह व्रती महिलाओं ने माता मंगलागौरी, मां अन्नपूर्णा के दरबार में दर्शन पूजन किया। फिर शाम को सोलहों श्रृंगार रचा पुष्प, धूप, दीप व विविध फल, मिष्ठान्न नैवेद्य आदि भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित कर कथा सुनी। मिट्टी से बने शिव-पार्वती और गणपति की पूजा की। सनातन धर्म में मान्यता है कि माता पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को पाने के लिए हजारों वर्ष तपस्या की थी। भाद्र शुक्ल तृतीया को ही महादेव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा था। तब देवी ने कहा कि यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं तो आप मेरे पति हों। देवाधिदेव महादेव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। उसी समय से सनातन धर्मावलंबी सौभाग्यवती महिलाएं सौभाग्य व अविवाहित कन्याएं मनोनुकूल पति प्राप्ति के लिए यह व्रत करती चली आ रही हैं। महिलाएं 24 घंटे निराजल रह पति के दीर्घ जीवन के लिए व्रत रखती हैं।