फिल्टर युक्त कृत्रिम फेफड़े 48 घंटे में हुए धुंधले, काशी की हवा में मौजूद है प्रदूषण
अस्सी घाट पर सामाजिक संस्था के प्रयोग से मिली जानकारी
वाराणसी, 12 अप्रैल । धर्म नगरी काशी में तल्ख धूप और गर्मी के बावजूद हवा की सेहत बिगड़ने के बाद फिर से प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। शहर में खराब हो रही हवा के चलते गंगाघाटों की ओर रुख करना भी अब सुरक्षित नहीं है। वायु प्रदूषण को लेकर सजग संस्था क्लाइमेट एजेंडा ने दो दिन पूर्व स्वच्छ समझे जाने वाले अस्सी घाट पर उच्च क्षमता वाले फ़िल्टर युक्त कृत्रिम फेफड़े स्थापित किये थे। कृत्रिम फेफड़े दो दिन में ही धुंधले हो गए। आम जन में वायु प्रदूषण की समझ पैदा करने के उद्देश्य से किये गये इस प्रयोग में घाटों पर, हवा में मौजूद ज़हरीले प्रदूषण का भी पता लगा।
क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने मंगलवार को बताया कि महज़ दो दिन पहले ही स्थापित किये गए, उच्च क्षमता वाले फ़िल्टर युक्त सफेद कृत्रिम फेफड़े का धुंधला (ग्रे) हो जाना प्रशासनिक दावों की कलई खोलता है। भीषण गर्मी के समय जबकि प्रदूषण का स्तर स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, ऐसे समय में शहर के स्वच्छतम क्षेत्र की हालत पूरे शहर के वायु प्रदूषण के आंकड़ों की पोल खोलती हैं। इन कृत्रिम फेफड़े का धुंधला हो जाना यह प्रमाणित करता है कि वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति बनी हुई है।
एकता ने हालिया जारी रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि उत्तर प्रदेश के अधिकांश शहर ऐसे ही स्वास्थ्य आपातकाल से गुजर रहे हैं, जहां राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्य योजना पूर्ण रूप से असफल हो चुकी है। ऐसे में पर्यावरण की बेहतरी के लिए परिवहन को प्रमुख रूप से स्वच्छ बनाया जाए और सभी विभाग मिल कर स्वच्छ वायु कार्य योजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराये।
बीएचयू सर सुंदर लाल अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ ओम शंकर ने कहा, "हम दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में यू ही नहीं शामिल हैं। महज दो दिनों में कृत्रिम फेफड़ों का ग्रे हो जाना साबित करता है कि शहर और आसपास रहने वाले लोगों का दिल और फेफड़ा वायु प्रदूषण की जद में है। बेहद जरूरी है कि इसे एक स्वास्थ आपातकाल मानते हुए जरूरी कदम उठाए जाएं।
श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ आर एन वाजपेई ने कहा कि अस्सी अब तक शहर में सबसे स्वच्छ जगहों में शामिल मानी जाती थी। महज 48 घंटे में कृत्रिम फेफड़े का ग्रे हो जाना आम जनता के स्वास्थ्य के लिए एक खतरनाक स्थिति मानी जानी चाहिए।
बताते चलें, दो दिन पूर्व केयर फॉर एयर संस्था की ओर से क्लाइमेट एजेंडा अभियान के तहत अस्सी घाट पर ही ऊंचे स्थान पर एक बोर्ड में आर्टिफिशियल फेफड़ा स्थापित किया गया। बोर्ड पर मौजूद यह श्वेत फेफड़ा कई दिनों तक अस्सी घाट पर आम लोगों के देखने के लिए उपलब्ध रहेगा। घाट पर दिन प्रतिदिन खराब हो रही वायु की गुणवत्ता को बतायेगा। इससे लोग अपने शहर में हवाओं के फेफड़े को हो रहे नुकसान के बारे में जान सकेंगे।