श्री काशी विश्वनाथ धाम में पंचम 'श्री नंदीश्वर उत्सव' संपन्न
प्रदोष काल में प्रथम पूजन नंदी भगवान का करना चाहिए, प्रसन्न होते हैं महादेव
वाराणसी,03 जुलाई । श्री काशी विश्वनाथ धाम में बुधवार को पंचम ‘श्री नंदीश्वर उत्सव’ उत्साह के साथ मनाया गया। मंदिर न्यास के न्यासी वेंकट रमण घनपाठी की देखरेख में प्रधान अर्चक ने 11 ब्राम्हणों के साथ पूजा कराई। मन्दिर न्यास के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी निखिलेश कुमार मिश्र ने यजमान की भूमिका निभाई। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ भजन संध्या का आयोजन किया गया।
मंदिर न्यास के सदस्य के अनुसार काशी विश्वनाथ धाम में नित नवीन सनातन नवाचारों की श्रृंखला में प्रदोष तिथि 05 मई को ‘प्रथम नंदीश्वर उत्सव’, 20 मई को ‘द्वितीय नंदीश्वर उत्सव’, 19 जून 2024 को तृतीय नंदीश्वर उत्सव मनाया गया। चार जून को ‘चतुर्थ नन्दीश्वर उत्सव’ मनाया गया।
बताते चलें कि नंदीश्वर पूजा का महत्व हमारे वेदों और शास्त्रों में बहुत ही विशेष बताया गया है। हम जो भी प्रार्थना भगवान से करते है वो नंदीश्वर ही भगवान तक पहुंचाते है। इसलिए नंदी भगवान का पंचामृत से रुद्र सूक्त के द्वारा अभिषेक और पूजा करके नंदी भगवान को प्रसन्न किया जाता है। नंदी आराधना से भक्त का मन स्थिर रहता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
मान्यता है कि प्रदोष काल में प्रथम पूजन नंदी भगवान का करना चाहिए, इस से भगवान शिव भी प्रसन्न होते है। ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने। भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से प्रसन्न हो कर प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था। यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अपूर्ण मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि जब नंदी जी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए। तब से ही प्रत्येक शिव मंदिर के सम्मुख नंदी जी की प्रतिमा देखने को मिलती है।