कोरोना महामारी में देवदूत बनकर चिकित्सकों ने बचाई लोगों की जान

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर विशेष

कोरोना महामारी में देवदूत बनकर चिकित्सकों ने बचाई लोगों की जान

लखनऊ,01 जुलाई । समाज में चिकित्सकों को भगवान का दूसरा रूप यूं ही नहीं कहा जाता है। चिकित्सक मानवता को काल के ग्रास होने से बचाते हैं यह समय-समय पर दिखाई देता है। कोरोना जैसी भयानक महामारी जब भारत में फैली तब हमारे चिकित्सकों ने अपना घर बार छोड़कर अहर्निश लोगों का जीवन बचाने में लग गये। ऐसे कठिन दौर में जब कोरोना पीड़ित व्यक्ति के घरवाले भी मरीज के पास जाने से कतराने लगे ऐसे समय में चिकित्सक ही सामने आये।

महामारी के उस भयानक दौर में चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए लाखों जिंदगियों को बचाने में सफल हुए। उस दौरान मरीजों की जान बचाते-बचाते अनके चिकित्सक संक्रमित भी हुए। देश में कई चिकित्सकों की मौत भी कोरोना वायरस से हुई लेकिन फिर भी चिकित्सक कोरोना महामारी से देश को उबारने में जुटे रहे।

कोरोना महामारी के दौरान राजधानी लखनऊ के कुछ वरिष्ठ चिकित्सक जो देवदूत बनकर मरीजों की सेवा की। ऐसे कुछ चिकित्सकों के बारे में उल्लेख करना आवश्यक है।

टीम वर्क से कोविड को किया नियंत्रित

कोरोना महामारी के दौर में जब लगातार मौतें होने लगीं ऐसे समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी एण्ड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश को अपना ओएसडी बनाकर मेरठ मेडिकल कालेज भेजा। मुख्यमंत्री के यहां से अचानक मेरठ जाने का निर्देश मिलते ही डा. वेद प्रकाश मेरठ मेडिकल कालेज पहुंचे। चिकित्सकों के साथ बैठक कर उत्साह भरा और टीम वर्क के साथ काम करने को कहा। मेडिकल कालेज के सभी विभागों के वरिष्ठ चिकित्सकों व अन्य स्टाफ को कोविड के नियंत्रण में लगाया।

दो गज की दूरी मास्क है जरूरी का स्लोगन देते हुए बेहतर उपचार की व्यवस्था की। परिणाम स्वरूप कोरोना कंट्रोल हुआ। बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज ठीक होकर घर गये। मेरठ का रिकवरी रेट भी अन्य जनपदों की अपेक्षा काफी अच्छा रहा। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी ने डा.वेद प्रकाश की सराहना भी की।

डा. एस.एन. शंखवार ने कोविड में केजीएमयू को ही बना लिया घर

कोरोना महामारी के दौर में किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सकों ने हजारों लोगों का जीवन बचाया। कोरोना महामारी के दौर में डा.एस.एन.शंखवार केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक थे। उनकी देखरेख में केजीएमयू में 10 हजार लोगों के एक साथ उपचार की व्यवस्था की गयी। साथ ही कोविड मरीजों के लिए 2500 बेड आरक्षित किये गये। उस दौरान जो भी कोविड के मरीज आये उनको भर्ती करने के बाद उनका इलाज शुरू हुआ और ठीक होकर घर गये। ऐसे समय में डा. शंखवार 24 घंटे केजीएमयू के परिसर में ही रहते थे और रात-रात जगकर निरीक्षण करते रहते थे।

अथक मेहनत व परिश्रम से बचाई लोगों की जान

कोरोना महामारी के दौर में राजधानी लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी के पद पर डा. नरेन्द्र अग्रवाल थे। वर्तमान में वह डीजी प्रशिक्षण के पद पर तैनात हैं। उनके पास डीजी परिवार कल्याण का अतिरिक्त प्रभार भी है। राजधानी लखनऊ का सीएमओ होने के नाते वीवीआईपी का अतिरिक्त प्रेशर भी रहता है और लखनऊ के बाहर के मरीज भी बड़ी संख्या में लखनऊ इलाज के लिए आते हैं। कोविड के दौरान स्थिति को नियंत्रण कर पाना आसान नहीं था। फिर भी ऐसे कठिन दौर में डा.नरेन्द्र अग्रवाल ने अथक मेहनत व परिश्रम के बल पर कोविड को नियंत्रण करने में महती भूमिका का निर्वहन किया।

कोविड के दौरान बच्चे भी बड़ी संख्या में संक्रमित हो रहे थे। ऐसे समय में भाऊराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डा. मनीष शुक्ला ने टेलीमेडिसिन सेवाओं के माध्यम से अभिभावकों को सलाह दी। इसके अलावा फेसबुक लाइव के माध्यम से लगातार लोगों को जागरूक करते रहे।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस

भारत में प्रतिवर्ष चिकित्सकों के सेवा व समर्पण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए 01 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। देश के प्रसिद्ध चिकित्सक व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे डा. बिधान चन्द्र राय की जयंती और पुण्यतिथि 01 जुलाई को ही है। उन्हें श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिए भारत में चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। डा. बिधान चन्द्र राय अच्छे चिकित्सक के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम सेनानी भी थे। आजादी के आन्दोलन में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ भाग लिया था।