मां विंध्यवासिनी के आंचल की छांव से मां गंगा को निहारेंगे श्रद्धालु
घंटा-घड़ियाल व गंगा के कलकल की गूंज से मिलेगी अदभूत अनुभूति
मीरजापुर, 31 जुलाई । तपोभूमि विंध्याचल धाम में घंटा-घड़ियालों की गूंज के बीच मां विंध्यवासिनी का जयकारा साथ ही मां गंगा की कलकल करती ध्वनि। महत्वाकांक्षी विंध्य कारिडोर परियोजना के पूर्ण होने के बाद मां विंध्यवासिनी के दर्शन पूजन संग भक्तोंं को इसकी अप्रतिम, अभूतपूर्व अनूभूति होगी। यह सब कुछ संभव हो पाया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकासपरक सोच व दृढ़इच्छा के चलते। विंध्याचल की पहाड़ियों में गंगा की पवित्र धाराओं की कल-कल करती ध्वनि, प्रकृति की अनुपम छटा बिखेरती है। अब दूर-दूर से आने वाले भक्त विंध्यधाम से ही मां गंगा को अद्वितीय रूप को निहार कर अभिभूत होंगे।
पुराणों में विंध्य क्षेत्र का महत्व तपोभूमि के रूप में वर्णित है। विध्य पर्वत श्रृंखला के मध्य पतित पावनी गंगा के कंठ पर विराजमान मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। विंध्याचल की देवी मां विंध्यवासिनी देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। त्रिकोण यंत्र पर स्थित विंध्याचल निवासिनी देवी लोकहिताय, महालक्ष्मी, महाकाली तथा महासरस्वती का रूप धारण करती हैं। खास बात यह है कि यहां तीन किलोमीटर के दायरे में तीन प्रमुख देवियां विराजमान हैं। मां विंध्यवासिनी, कालीखोह पहाड़ी पर महाकाली तथा अष्टभुजा पहाड़ी पर अष्टभुजी देवी देवियों के दर्शन किए बिना विंध्याचल की यात्रा त्रिकोण अधूरी मानी जाती है। तीनों के केंद्र में मां विंध्यवासिनी है। विंध्यवासिनी देवी विंध्य पर्वत पर स्थित मधु तथा कैटभ नामक असुरों का नाश करने वाली भगवती यंत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। मान्यता है कि स्थान पर तप करने वाले मनुष्य को सिद्धि अवश्य प्राप्त होती है। विविध संप्रदाय के उपासकों को मनवांछित फल देने वाली मां विंध्यवासिनी देवी अपने अलौकिक प्रकाश के साथ यहां नित्य विराजमान रहती हैं।
मान्यता है कि सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता। यहां पर संकल्प मात्र से उपासकों को सिद्धि प्राप्त होती है। इस कारण यह क्षेत्र सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है। आदि शक्ति की शाश्वत लीला भूमि मां विंध्यवासिनी के धाम में पूरे वर्ष दर्शनार्थियों का आना-जाना लगा रहता है। चैत्र व शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां देश के कोने-कोने से लोगों का का समूह जुटता है। शास्त्रों में मां विंध्यवासिनी के ऐतिहासिक महात्म्य का अलग-अलग वर्णन मिलता है। शिव पुराण में मां विंध्यवासिनी को सती माना गया है तो श्रीमद्भागवत में नंदजा देवी कहा गया है।
मां के अन्य नाम कृष्णानुजा, वनदुर्गा भी शास्त्रों में वर्णित हैं।