जीएसटी विभाग की मनमानी पर कोर्ट ने लगाया 15 हजार रुपये हर्जाना
व्यवसाय के लिए दी गई रजिस्ट्रेशन अर्जी पर बेवजह परेशान करने का आरोप
प्रयागराज, 12 जनवरी । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोजगार मुहैया कराने की कंसल्टेंसी फर्म के पंजीकरण के लिए अनावश्यक परेशान करने वाले जीएसटी विभाग पर 15 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। हर्जाना 20 दिन में विधिक सेवा समिति में जमा कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है और हर्जाना राशि अधिकारियों से वसूल करने की भी छूट दी है।
कोर्ट ने अर्जी निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है और जीएसटी विभाग को एक हफ्ते में नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने रंजना सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची ने कंसल्टेंसी के जरिए रोजगार मुहैया कराने के व्यवसाय के लिए पंजीकरण अर्जी दी। जिस पर अधिकारियों ने स्थलीय निरीक्षण भी किया। याची को कारण बताओ नोटिस जारी कर बिजली बिल या गृहकर रसीद देने को कहा।
याची ने बताया वह व्यवसाय स्थल का मालिक है। पैन कार्ड, आधार कार्ड, नगर निगम प्रयागराज की सम्पत्ति कर रसीद दी। जो कि कानून के तहत व्यवसाय के मुख्य स्थान के साक्ष्य है। कब्जा साबित करने के लिए अद्यतन बिजली बिल की मांग की गई और अर्जी मनमाने तरीके से निरस्त कर दी गई। आदेश के खिलाफ अपील भी खारिज हो गई तो याचिका में चुनौती दी गई थी।