दिल्ली में एक और किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार

दिल्ली में एक और किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार

दिल्ली में एक और किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश, आठ गिरफ्तार

नई दिल्ली, 19 जुलाई । दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश किया है। क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले में आठ आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चला रहे थे। यह पूरा रैकेट फर्जी दस्तावेजों के आधार पर देश के 5 राज्यों- दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में स्थित अस्पतालों में चलाया जा रहा था।

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश कर मामले में 8 आरोपितों की गिरफ्तारी करने के बाद इसमें आगे की जांच भी शुरू कर दी है। इस रैकेट में और लोगों की संल‍िप्तता होने की संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है। इस पूरे मामले को लेकर क्राइम ब्रांच की ओर से प्रेस वार्ता की गई। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैसे ये पूरा रैकेट चलाया जाता था।

उन्होंने बताया कि इस स‍िंड‍िकेट का भंडाफोड़ एक मह‍िला की श‍िकायत के बाद हुआ, ज‍िसके पत‍ि से क‍िडनी ट्रांसप्‍लांट के नाम पर 35 लाख रुपये ठग ल‍िये गए थे। गैंग द‍िल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में सक्रिय था। आईएससी, क्राइम ब्रांच को एक सुसंगठित रैकेट के बारे में गुप्त सूचना म‍िली थी जो भारतीय नागरिकों के अवैध किडनी प्रत्यारोपण में शामिल है। इस सूचना को पुख्‍ता क‍ियी गया और सिंडिकेट का पता लगाने पर काम क‍िया गया। पीड़ितों की पहचान के दौरान एक महिला शिकायतकर्ता ने संदीप और विजय कुमार कश्यप उर्फ ​​​​सुमित के खिलाफ शिकायत दी, जिसमें कहा गया कि उन्होंने किडनी प्रत्यारोपण के बहाने उसके पति से ​​35 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है।

26 जून को टेक्‍निकल सर्व‍िलांस की मदद से संबंधित पात्रों की पहचान की गई और एसीपी/आईएससी इंस्‍पेक्‍टर रमेश लांबा और सत्‍येंद्र मोहन की समग्र देखरेख और इंस्पेक्टर पवन और महिपाल के नेतृत्‍व में टीम गठ‍ित की गई, जिसने कई जगहों पर टीमों ने छापेमारी की। आरोपित सुमित उर्फ ​​विजय कश्यप लखनऊ का रहने वाला है, जिसे नोएडा से गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे से बहुत सारे फर्जी कागजात, स्टांप सील और रोगी/दाता फाइलें बरामद की गईं। इसके बाद इस मामले में संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर ल‍िया गया। 28 जून को उत्तराखंड निवासी संदीप आर्य और देवेंद्र को गोवा के एक फाइव स्‍टार होटल से गिरफ्तार किया गया।

क्राइम ब्रांच ने बताया कि इसके सरगना समेत कुल 15 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जो इस पूरे गोरखधंधे का संचालन कर रहा था। इन सभी में क‍िंगप‍िन के साथ अस्पतालों के ट्रांसप्‍लांट कॉर्ड‍िनेटर, मरीज और डोनर्स शामिल हैं। आरोपित व्यक्तियों के कब्जे से स्टांप, विभिन्न प्राधिकरणों की मुहर, विभिन्न अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के खाली कागजात, मरीजों और किडनी प्रत्यारोपण के डोनर्स के जाली दस्‍तावेजों की फाइलें और अन्य महत्वपूर्ण जाली आईडी दस्तावेजों सहित बहुत सी आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई हैं। इनके पास से पुल‍िस ने 34 नकली टिकटें, 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 9 सिम, 1 लग्जरी कार, 1,50,000, जाली दस्तावेज और मरीजों/रेसीप‍िएंट्स और डोनर्स की फाइलें बरामद की हैं।

पूछताछ के दौरान पता चला कि इस ग‍िरोह के मेंबर पहले जाने माने अस्पतालों में ट्रांसप्‍लांट कॉर्ड‍िनेटर के रूप में जॉब हास‍िल करते थे और फिर किडनी प्रत्यारोपण के लिए संबंधित अस्पताल की ओर से अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की ट्रेन‍िंग लेकर उसको सीखते थे। इसके बाद वे दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकुला, आगरा, इंदौर और गुजरात के विभिन्न अस्पतालों में किडनी की बीमारी से पीड़ित और इलाज करा रहे मरीजों की पहचान करते थे।

उनमें से कई आरोपित सोशल मीड‍िया के जर‍िए क‍िडनी डोनर की तलाश करते थे। इनमें ज‍िन आठ लोगों को ग‍िरफ्तार क‍िया गया है, उनमें से तीन ऐसे हैं जोक‍ि खुद क‍िडनी डोनेट कर चुके हैं। आरोपित व्यक्ति सोशल मीडिया से डोनर्स से संपर्क साधने का काम करते थे और उनकी खराब वित्तीय बैकग्राउंड का फायदा उठाते थे और किडनी देने के लिए 5 से 6 लाख रुपये देने के बहाने उनका शोषण करते थे।

उन्होंने मरीज़ों/डोनर्स को करीबी रिश्तेदार दिखाने के लिए उनके जाली दस्तावेज़ तैयार किए, क्योंकि यह अनिवार्य प्रावधानों में से एक है। कुछ मामलों में उन्होंने फर्जी दस्तावेज़ बनाए और किसी भी संदेह से बचने के लिए डोनर और मरीज को दूसरे राज्य के अस्पताल में ट्रांसप्‍लांट कराने के लिए दूसरे राज्य के निवासी के रूप में दिखाते थे। जाली दस्तावेजों के आधार पर उनकी प्रारंभिक चिकित्सा जांच की जाती थी और विभिन्न अस्पतालों में प्रत्यारोपण प्राधिकरण समिति की जांच में उत्तीर्ण होने की व्यवस्था भी की जाती थी। अब तक यह बात सामने आई है कि सिंडिकेट ने अलग-अलग राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट के सफल ऑपरेशन क‍िए हैं।

आगे की जांच के दौरान उनकी निशानदेही पर पांच सहयोगियों, ज‍िनमें पुनित कुमार, मोहम्मद हनीफ शेख, चीका प्रशांत, तेज प्रकाश और रोहित खन्ना उर्फ ​​नरेंद्र प्रमुख रूप से शाम‍िल हैं, उनको अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले 5 मरीजों और 2 डोनर्स की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। अब तक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के 34 मामले पहचाने जा चुके हैं और आगे भी जांच जारी है।

उल्लेखनीय दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पिछले दिनों 9 जुलाई को एक इंटरनेशनल किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भी भंडाफोड़ किया था, जिसमें ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से चार से पांच लाख रुपये में क‍िडनी लेते थे और रिसीवर को 20 से 30 लाख रुपये में देते थे। इसमें जाने-माने अस्पतालों की एक महिला डॉक्टर समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में गिरफ्तार लोगों के तार बांग्लादेश से जुड़े हुए थे। यह इंटरनेशनल रैकेट भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किडनी रैकेट चला रहा था और बताया गया था क‍ि 2021 और 2023 के दौरान यह पूरा रैकेट नोएडा के एक निजी अस्पताल में करीब 15 से 16 किडनी ट्रांसप्लांट भी कर चुका था।